सिवनी. मप्र के अधिवक्ताओं के ऊपर किए जा रहे हमले के दोषियों के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किए जाने एवं एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट तत्काल लागू किए जाने की मांग को लेकर जिला अधिवक्ता संघ ने सोमवार को मुख्यमंत्री के नाम लिखा ज्ञापन जिला एवं सत्र न्यायाधीश और एसडीएम को सौंपा। साथ ही सभी अधिवक्ताओं ने प्रतिवाद दिवस के रूप में न्याययिक कार्यों से विरत रहे।

जिला अभिभाषक संघ सिवनी के अध्यक्ष मुकेश अवधिया ने बताया कि इंदौर उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ उपाध्यक्ष रितेश इनानी अधिवक्ता के साथ कुछ लोगों ने गालीगलौच व घातक हथियार से मारपीट की। इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई लेकिन पुलिस ने इस अपराधियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है।
इसी प्रकार कुछ दिनों पूर्व जबलपुर में भी अधिवक्ता अलोक जैन के ऊपर भी प्राण घातक हमला किया गया था उसके साथ ही वर्तमान में मंदसौर में पुलिस के द्वारा अपमानजक व्यवहार किया गया है। लगातार इस तरह की घटनाएं सम्पूर्ण मप्र में हो रही है इस बात को लेकर मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद एवं जिला अधिवक्ता संघ सिवनी के अधिवक्तागण आक्रोशित हैं।
मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा एक याचिका के माध्यम से मप्र शासन से अधिवक्ताओं के संरक्षण के लिए एडव्होकेट एक्ट का प्रोटेक्शन एक्ट का प्रारुप पेश करने के लिए आदेशित किया गया है, इसके बावजूद भी मप्र शासन द्वारा सह प्रोटेक्शन एक्ट में समुचित कार्यवाही नहंीं की जा रही है। इन दोनों मांगों को लेकर मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद के आव्हान पर सोमवार को पूरे प्रदेश के अधिवक्ता समुदाय के साथ अधिवक्ता संघ भी न्यायिक कार्य से विरत रहकर प्रतिवाद दिवस मनाया।
अधिवक्ताओं में जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष मुकेश अवधिया, उपाध्यक्ष राजकुमार श्रीवास, सचिव पंकज जैन, सहसचिव रामभुज बघेल, कोषाध्यक्ष मुकेन्द्र सिंह बघेल, अमोल चौरसिया, कुसुम यादव, फिरोज कुरैशी, दिनेश राऊत, महेश लारोकर, तऊण विश्वकर्मा, महेन्द्र नायक, संतोष चौधरी, महानंद राहंगडाले, राघवेन्द्र शर्मा, वीरेन्द्र सोन केसरिया, शैलेष सक्सेना, अनुरुद्ध जायसवाल, राकेश बघेल, सुबेन्द्र सिंह बघेल, योगेश व्यवहार दीपक रजक, महेन्द्र सिंह सिंगोतिया एवं जिला अधिवक्ता संघ के सभी वरिष्ठ एवं अधिवक्तागतण बड़ी संख्या में मौजूद थे।
पक्षकार वापस लौटेकोर्ट में अधिवक्ताओं द्वारा न्यायिक कार्य से विरत रहने व प्रतिवाद दिवस मनाए जाने के कारण किसी भी अधिवक्ताओं ने पैरवी नहीं की। सुनवाई नहीं होने के कारण पक्षकारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। दूर दराज से आए लोगों का न्यायालयीन कार्य नहीं होने से वे निराश होकर वापस लौट गए।