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प्रदेश के पहले फिश सीड प्लांट पर मंदी की मार

एक साल में कमाए कुल 5.89 लाख, जिले से हुआ मात्र 155 क्विंटल विक्रय

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Sunil Vandewar

Jan 18, 2017

seoni

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सुनील बंदेवार सिवनी.
यह जिला मत्स्य पालन, बीज उत्पादन में प्रदेश में अग्रणी रहा है। इसके प्रतिफल में राज्य शासन द्वारा मध्य प्रदेश का पहला मत्स्य आहार संयंत्र सिवनी जिले के केवलारी ब्लॉक अंतर्गत पांडिया छपारा के बागडोंगरी में एक साल पूर्व 9 जनवरी 2016 को 32.50 लाख रुपए की लागत से स्थापित किया गया था। लेकिन इस एक साल में मत्स्य आहार संयंत्र से उम्मीद के मुताबिक फायदा नहीं हुआ। साल भर में महज 155 क्विंटल मत्स्य आहार का विक्रय हो पाया है, जिससे 5,89000 रुपए कुल आय अर्जित हुई है।

इस प्लांट से थीं बड़ी उम्मीदें -

मत्स्य आहार संयंत्र (फिश सीड प्लांट) जिले के लिए अहम उपलब्धि है। मत्स्य विभाग के उपसंचालक रविकुमार गजभिये ने बताया कि सिवनी जिले के पांडियाछपारा अंतर्गत बागडोंगरी में सीड़ प्रोड़क्शन के लिए अनुकूल स्थितियां पाकर आईएपी योजना के अंतर्गत प्लांट लगाया है। इस प्लांट में दिल्ली की फर्म द्वारा मशीन लगाई गई है। मशीन में बनाथर मछुआ सहकारी समिति के करीब 15 मछुआरों को अतिरिक्त रोजगार प्राप्त हुआ है। मछुआ समिति के सदस्यों को मशीन से उत्पादन लेने की बकायदा ट्रेनिंग भी दी गई है। जिससे यहां प्रतिदिन 150 क्विंटल मत्स्य आहार बनाया जा सकता है, लेकिन मत्स्य आहार की मांग कम होने से उत्पादन भी कम किया जा रहा है।

जिले से एकत्रित होती है कच्ची सामग्री -

मत्स्य उपसंचालक ने बताया कि अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित मशीन से एक घंटे में 1.5 क्विंटल मत्स्य आहार (पेलेड सीड) बनाया जा सकता है। वहीं प्रतिदिन यह मशीन 10 घंटे चलाकर 150 क्विंटल मत्स्य आहार उत्पादन लिया जा सकता है। इसके लिए कच्चा मटेरियल सरसों की खली, सोयाबीन की खली, मक्का, चावल का कोंडा जिले से जुटाया जा रहा है।

कीमत कम, फिर भी नहीं बढ़ी मांग -

मत्स्य उपसंचालक बताते हैं कि बाजार में अब तक मत्स्य आहार 45 रुपए किलो के भाव पर मिलता रहा है, जबकि यहां संयंत्र लग जाने से मछुआरों को यही मत्स्य आहार 38 रुपए किलो तक मिल मिल रहा है। मत्स्य विभाग के उपसंचालक ने बताया कि मत्स्य आहार पानी में तैरता है। जिसको मछली आसानी से ग्रहण कर सकती हैं, इस बीज में कम से कम 32 प्रतिशत प्रोटीन है, जिससे तालाब में मछली उत्पादन में भी इजाफा होता है।

प्रदेश से बाहर तक होनी थी सप्लाई -

बड़ी मात्रा में प्रतिदिन मत्स्य आहार का उत्पादन कर पांच किलो, 50 किलो और मांग के मुताबिक पैकिंग कर सप्लाई प्रदेश व बाहर तक की जानी थी। लेकिन इसकी सप्लाई फिलहाल मंडला, बालाघाट, कटनी, बैतूल एवं हरदा जिलों से हो रही मांग के मुताबिक हो रही है। इधर जानकारों की मानें तो मत्स्य आहार की मांग अधिक न होने का मुख्य कारण मत्स्य आहार के मूल्य की अधिकता और बाजार में आई मंदी को माना जा रहा है।

इनका कहना है-

मत्स्य आहार संयंत्र जिन उम्मीदों के साथ लगाया गया था, उतना फायदा नहीं मिल रहा है। संयंत्र पर मंदी की मार है। बीते एक साल में 155 क्विंटल मत्स्य आहार की ही बिक्री हो सकी है।

रविकुमार गजभिये,
मत्स्य उपसंचालक सिवनी

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