सिवनी. अक्सर आपने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को भार या भाव आने की बात सुनी होगी लेकिन अगर हम ये कहें कि जिले में एक दिन लोगों पर सांप की आत्मा आ जाती है तो शायद आप यकीन न करें। और , यदि हम यह कहें कि किसी एक सांप की नहीं बल्कि जिले में पाए जाने वाले लगभग हर प्रजाति के सांप की आत्मा लोगों के भीतर आती है तो आप और आश्चर्य में पड़ जाएंगे। जिले में ऋषि पंचमी के दिन सांप का इलाज मंत्रों से करने वाले लोगों पर उसी संाप की आत्मा आती है जिसने किसी को काटा हो।
सिवनी जिले में प्रकृति के प्रति आस्था का अदभुत संयोजन ऋषि पंचमी के दिन देखने को मिलता है। प्रकृति के हर कण में ईश्वर को देखने वाली हमारी संस्कृति का एक खास त्योहार है नागशैला। पंचमी के दिन जिले में कई जगहों पर नागशैला का आयोजन किया जाता है।
ऋषि पंचमी को जिले में नागों को समर्पित इस त्योहार का आयोजन किया जाता है। दरअसल इस परंपरा की शुरुआत उस दौर में हुई थी जब कृषि मुख्य व्यवसाय मानी जाती थी और आधुनिकता हमारे जीवन में इस हद तक काबिज नहीं हुई थी। उस दौर में जब न अस्पताल थे, न ही चिकित्सा की इतनी अत्याधुनिक सुविधाएं। उस दौर में हर रोग-दोष के के लिए ईश्वर का कोप माना जाता है। उस दौर में सर्पदंश होने पर लोगों का झाडऩे-फूंकने के जरिए इलाज होता था।
उस दौर में और आज भी ग्रामीण इलाकों में जब ग्रामीणों को खेत या घरों में सांप काट देता है, तो लोग उसे लेकर गांव में रहने वाले सर्प उतारने वाले मांत्रिक के पास जाते हैं। सर्प झाडऩे वाला मंत्रों के जरिए कथित तौर पर सांप का जहर उतारता है। हांलकि वक्त गुजरने के साथ-साथ अब इलाज के लिए लोग अस्पताल का रुख करने लगे हैं।
माना यह जाता है कि मांत्रिक मंत्रों के जरिए शरीर के जख्म में जहर को बांध देता था और सांप का जहर आगे नहीं बढ़ता। इसी बंध को ऋषि पंचमी के दिन नाग शैला में खोला जाता है। माना जाता है कि इस दिन मांत्रिकों पर नागदेवता का भार आता है। कतार में घूमता हुआ मांत्रिक अचानक छटपटाने लगता है और व्यक्ति अजीबो-गरीब हरकतें करने लगता है। लोगों का कहना है कि जब नागदेवता का भार आता है तो व्यक्ति ऐसी हरकतें करता है। वह व्यक्ति कहीं साइकिल, रिक्शा या अन्य संकरी जगहों से निकलता है। कई बार हट्टे-कट्टे शख्स भी बहुत ही संकरी जगह से निकल जाते हैं।
यह आयोजन शाम से शुरु होकर देर रात तक जारी रहता है। इसे देखने बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। जिसमें बच्चे-बड़े सभी शामिल होते हैं। ऋषि पंचमी के दिन अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। इस दिन सर्पदंश से सताए और मांत्रिक एक सर्पनुमा कतार बनाकर खड़े होते हैं। सबसे आगे खड़े शख्स के हाथ में एक सूप होता है जो नाग के फन की अनुभुति देता है। लोग मंत्रों और लोकगीतों के उच्चारण के बीच इधर-उधर घूमते हैं। जिस सांप ने काटा हो उसकी आत्मा प्रभावित के ऊपर आ जाती है। उसका बंध खोलकर फिर सर्प को संतुष्ट किया जाता है।