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निजी स्कूलों के फीस निर्धारण की प्रशासन के पास नहीं है कोई गाइड लाइन

कई मदों को बताकर वसूली जाती है भारी भरकम फीस

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Change the time of schools and anganwadis, 7 to 12 classes

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शहडोल. शहरी व ग्रामीण इलाकों में निजी स्कूलों का संचालन पिछले कई दशकों से किया जा रहा है, मगर शासन एवं प्रशासन स्तर पर निजी विद्यालयों में विद्यार्थियों से ली जाने वाली फीस के निर्धारण की आज तक कोई गाइड लाइन नहीं बनी है। जिससे निजी स्कूल संचालक मनमाने तरीके से फीस वसूलते चले आ रहे हैं। जिसका खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ता है। प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों का यही कहना रहता है कि जो विद्यालय बच्चों को जितनी ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराएगा, वह उतनी ज्यादा फीस वसूलेगा ही। ऐसे जबाब से यही प्रतीत होता है कि प्रशासन स्तर पर अब शिक्षा का व्यवसायीकरण हो चुका है और निजी विद्यालयों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए शासन भी गंभीर नहीं है। शासन एवं प्रशासन स्तर पर लापरवाही की नतीजा यह है कि निजी स्कूलों हर साल विभिन्न प्रकार की फीस के नाम पर स्कूलों द्वारा अभिभावकों से भारी भरकम राशि वसूल की जा रही है। कुछ राशि तो ऐसी ली जा रही है, जिसमें बच्चों की ट्यूशन फीस से कोई लेना-देना नहीं है। निजी स्कूलों में अगर अभिभावक एक या दो बच्चों को पढ़ा रहे हैं तो उन्हें साल भर में काफी रुपया खर्च करना पड़ता है।
प्रशासन को देते है सालाना फीस की जानकारी
निजी स्कूल के संचालकों द्वारा फीस की जो सूची उपलब्ध कराते हैं उसके अनुसार अगर शहर के कुछ स्कूलों की बात करें तो सेंटा लाइसिस स्कूल में कक्षा एक से पांचवीं कक्षा तक की साल भर की फीस करीब 19 हजार रुपए है। वहीं, कॉन्वेंट में कक्षा एक से पांचवीं कक्षा तक की फीस 11 हजार रुपए से ज्यादा है। एमजीएम स्कूल धनपुरी में कक्षा एक से पांचवीं कक्षा तक फीस तेरह हजार से 16 हजार रुपए तक देनी पड़ रही है। वहीं, सतगुरू पब्लिक स्कूल में कक्षा एक से पांचवीं कक्षा तक सालाना फीस आठ हजार से दस हजार रुपए तक है। टाइम स्कूल भी कक्षा एक से पांचवीं कक्षा तक की सालाना फीस 75 सौ रुपए बताई जाती है। इसी प्रकार सेन्ट्रल एकेडमी स्कूल में कक्षा एक से पांचवीं कक्षा तक की वार्षिक फीस 52 सौ से 57 सौ रुपए तक है।
कई मदों से वसूलते हैं फीस
कुछ स्कूलों में हर साल री-एडमिशन के नाम पर भी फीस ली जा रही है। हर साल अभिभावकों को विभिन्न प्रकार की फीस से संबंधित स्लिप बुक थमाई जा रही है। इसमें कई प्रकार की फीस किस नाम पर ली जा रही है? इसकी अभिभावकों को जानकारी तक नहीं दी जाती है। इसके अलावा स्पोट्र्स, एक्टिविटी, परीक्षा, कम्प्यूटर, लैब, मेंटेनेंस, स्मार्ट क्लास आदि कई प्रकार की फीस भी ली जा रही है। कुछ स्कूलों में स्लिप काटकर अभिभावकों को देते है और अभिभावक स्कूल के संबंधित बैंक में जाकर फीस जमा करता है। अभिभावकों का कहना है कि मई व जून माह तक पढ़ाई नहीं होती है, फिर भी पूरे माह के फीस लेते हैं। यहां तक की फीस बुक, डायरी आदि के नाम पर भी राशि वसूली जा रही है।
तीन साल बाद फीस बढ़ानें का है प्रावधान
बताया गया है कि निजी विद्यालयों में हर तीन साल में फीस बढ़ाने का प्रावधान किया गया है, मगर इसका पालन बहुत कम होता है। प्रावधान के तहत विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक में तीन साल बाद पांच फीसदी फीस बढ़ाई जा सकती है। पांच से दस फीसदी फीस बढ़ाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी या उसके प्रतिनिधि की सहमति से निर्णय लिया जा सकता है और दस फीसदी से ज्यादा फीस बढ़ाने के लिए संयुक्त संचालक शिक्षा या कलेक्टर की संभागीय समिति से अनुमोदन लेना पड़ता है। फीस बढ़ाने के लिए विद्यालय संचालकों को ठोस कारण बताना पड़ता है, मगर अक्सर इन प्रावधानों का पालन नहीं किया जाता है। देखा यह जाता है कि निजी स्कूल संचालक मनमाने तरीके से फीस बढ़ाकर प्रावधानों की औपचारिकताओं की पूर्ति कर लेते हैंं।
निजी स्कूलों में लगने वाली फीस
कक्षा सेन्टा. एमजीएम टाइम सतगुरू सेन्ट्रल ज्ञानोदय कान्वेट
पहली 19000 13300 7500 8350 5200 4600 11660
दूसरी 19000 14380 7500 8400 5200 4600 11660
तीसरी 19000 15680 7500 8800 5500 4600 11660
चौथी 19000 15680 7500 8850 5500 4600 11660
पांचवीं 19000 16300 7500 9950 5700 4600 11660
छठवीं 21000 16800 9500 11900 5700 4600 12300
सातवीं 21000 16800 9500 12400 6000 4600 12300
आठवीं 21000 16800 9500 12400 6000 4600 12300
(नोट-फीस रुपयों में हैं और यह वार्षिक फीस डीईओ आफिस से मिली जानकारी अनुसार है )
इनका कहना है
निजी स्कूलों में फीस व्यवस्था के लिए अभी तक कोई गाइडलाइन नहीं बनी है।
जो स्कूल जिनती ज्यादा व्यवस्था व सुविधाएं देता है, उसके अनुसार वह फीस वसूलते हैं। निजी स्कूलों में व्यवस्था को लेकर नियमित मॉनिटरिंग की जाती है। निजी स्कूल संचालक डीईओ या उसके प्रतिनिधि की सहमति से फीस बढ़ा सकते हैं।
उमेश कुमार धुर्वे, जिला शिक्षा अधिकारी, शहडोल