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मध्यप्रदेश में बस ऑपरेटर्स का गोलमाल, इस तरह हेरफेर कर सरकार को अरबो रुपए का लगा रहे चूना

रातो-रात जिला मुख्यालय से होकर गुजरती है सीजी से यूपी तक बसें

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मध्यप्रदेश में बस ऑपरेटर्स का गोलमाल, इस तरह हेरफेर कर सरकार को अरबो रुपए का लगा रहे चूना

मध्यप्रदेश में बस ऑपरेटर्स का गोलमाल, इस तरह हेरफेर कर सरकार को अरबो रुपए का लगा रहे चूना

शहडोल. परिवहन विभाग को बसों के माध्यम से मिलने वाले राजस्व पर टूरिज्म परमिट के नाम पर बस संचालक सेंध लगा रहे हैं। इनके द्वारा न केवट टैक्स चोरी की जाती है बल्कि टूरिस्टों को लाने ले जाने के नाम पर नियम विरुद्ध सवारी ढ़ोने का काम किया जा रहा है। सीजा से लेकर यूपी तक रातो-रात दौडऩे वाली इन बसों में टूरिस्ट कम और लोकल सवारी ज्यादा बैठी पाई जाती हैं। जिसे लेकर यातायात से लेकर परिवहन विभाग ने चुप्पी साध रखी है। परिवहन विभाग की माने तो जिले से 2 बसों को टूरिस्ट परमिट जारी हुआ है। इसके अलावा अन्य बसों द्वारा अवसर पर विशेष पर टूरिस्ट परमिट ली जाती है यह परमिट तीन से चार दिन के लिए होती है। तीन से चार दिन के लिए ली जाने वाली इस परमिट की आड़ में बस संचालकों द्वारा विभाग की आंख में धूल झोंककर बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है।
सीजी से यूपी ले जाते हैं मजदूर
जानकारों की माने तो टूरिस्ट परमिट के नाम पर दौडऩे वाली ज्यादातर बसें छत्तीसगढ़ की हैं जो शहडोल से होकर गुजरती है। इन बसों में प्राय: मजदूरों को सीजी से यूपी लाया ले जाया जाता है। इन्हे अन्य स्टॉपेज पर खड़ा करने व सवारी बैठाने की अनुमति नहीं होती है। इसके बाद भी बस संचालकों द्वारा जहां क्षमता से अधिक मजदूरो को बैठाया जाता है। वहीं जगह-जगह बसों का स्टॉपेज कर सवारी भरने में भी पीछे नहीं रहते हैं। यह बसें प्राय: छत्तीसगढ के दुर्ग से इलाहाबाद, रायपुर से इलाहाबाद, लखनऊ सहित अन्य बड़े शहरों के लिए होती है।
रातो-रात मुख्यालय से गुजरती है बसें
जानकारों की माने तो रायपुर और बिलासपुर की लगभग 12-15 बसें सीजी से यूपी के लिए रात्रि कालीन बस सेवा के नाम पर दौड़ती है। यह बसें रात में 11 बजे से सुबह 4 बजे तक दौड़ती है। जिनमें ठूंस-ठूंस कर मजदूरों के साथ सवारियां भी बैठाई जाती है। जिससे न केवल बस संचालकों द्वारा टैक्स चोरी की जाती है बल्कि टूरिस्ट परमिट को लेकर जारी गाइड लाइन को भी नजर अंदाज किया जाता है।
सूची का पता न स्टॉपेज का ठिकाना
टूरिस्टों को लाने ले जाने के लिए जिन बस संचालकों द्वारा परमिट ली जाती है उन्हे बकायदे टूरिस्टों की सूची बनानी पड़ती है। यह सूची जिला प्रशासन के पास उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा बस संचालकों को स्टॉपेज पर वाहन रोकने व सवारी बैठाने की किसी भी प्रकार से अनुमति नहीं होती है। साथ ही जिस अवधि के लिए परमिट होती है उसके बाद वह बिना अनुमति वाहन सड़क पर नहीं दौड़ा सकते। इसके बाद भी बस संचालकों द्वारा सभी निर्देशों को धता बताते हुए अपनी मनमर्जी की जाती है। जिसे रोकने कोई ठोस कदम भी नहीं उठाए जा रहे हैं।
नागपुर के लिए भी शुरु हुआ सफर
उल्लेखनीय है कि कोविड को देखते हुए मुख्यालय से नागपुर के लिए बसों के परिचालन पर रोक लगा दी गई थी। अब यह रोक भी हट गई है इसके साथ ही 1 सितम्बर से बसों का संचालन प्रारंभ हो गया है। जिला मुख्यालय से नागपुर के लिए फिलहाल चार बसों को ही परमीशन है। बताया जा रहा है कि कुछ और बसों के लिए परिहवन विभाग से अनुमति के लिए आवेदन किए गए हैं।
टम्परेरी परमिट से चलाते हैं काम
जानकारों की माने तो टूरिस्ट परमिट स्थाई तौर पर पांच साल के लिए मिलता है। जिससे बस संचालक परहेत करते हैं। बस संचालकों का कहना है कि कभी कभार टूर मिलता है। ऐसे में स्थाई परमिट में उन्हे नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में बस संचालकों द्वारा अस्थाई तौर पर टूरिज्म परमिट लिया जाता है। जिसमें सामान्य दिनो में महीने में 5-10 परमिट की जारी होते हैं। हालांकि शादियों और मेले के सीजन में यह परमिट 100 के पार हो जाती है।
यह है स्थिति
कुल बसों को परमिट - 140
यूपी के लिए - 12 बसें
सीजी के लिए - 06 बसें
नागपुर के लिए - 4 बसें
रात्रिकालीन सेवा - 15 बसें
आरए परमिट - 6 बसें