
मृदंग बजाते प्रसन्न मुद्रा में 64 योगिनियों के साथ स्थापित हैं नृत्य गणेश
शहडोल. शहर से लगभग 10 किमी दूर सिंहपुर में प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की नृत्य मुद्रा में स्थापित प्रतिमा अपने भीतर कई रहस्य रखे हुए हैं। प्रतिमा को लेकर कई मान्यताएं हैं। कहा यह भी जा रहा है कि यह पहला मंदिर है जहां मां पार्वती के काली स्वरूप के ठीक बगल में भगवान गणेश विराजमान है। इसे सबसे शुभ संकेत भी माना जाता है। शक्तिपीठ होने की वजह से इस मंदिर का विशेष महत्व हैं लेकिन भगवान श्री गणेश की इस अद्भुत प्रतिमा की वजह से भी यह विशेष आस्था का केन्द्र बना हुआ है। प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता की पूजा अर्चना के लिए यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। आठ गांठ वाले दुर्बा से प्रथम पूज्य की उपासना होती है ।
सात पुस्त से कर रहे सेवा
मंदिर में मां काली व भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने वाले अर्जुन प्रसाद राव ने बताया कि भगवान गणेश व माता रानी की वह पुस्तों से सेवा करते चले आ रहे हैं। वह अपनी सातवीं पुस्त के सदस्य हैं जो मंदिर में सेवा कर रहे हैं। उन्होने बताया कि माता रानी की मूर्ति स्थापना के पहले से ही भगवान श्री गणेश की यह प्रतिमा स्थापित है। भगवान गणेश के दर्शन के लिए यहां भक्तों की भारी भीड़ एकत्रित होती है।
नृत्य मुद्रा में अष्टभुजी प्रतिमा
जानकारों की माने तो भगवान श्री गणेश की नृत्य मुद्रा में अष्टभुजी प्रतिमा विरले ही मिलती हैं। इस संबंध में पं. सूर्यकांत शुक्ला ने बताया कि भगवान श्री गणेश की यह अद्भुत प्रतिमा है। जिसमें भगवान 64 योगिनियों के साथ रिद्धि-सिद्धि को समाहित किए हुए मृदंग बजाते प्रसन्न मुद्रा में नजर आते हैं। इनकी पूजा आठ गांठ वाले दुर्बा से होती है साथ ही प्रतिमा में द्वादश गणपति का स्वरूप समाहित है। इसके अलावा सदाभवानी दाहिनी सन्मुख रहे गणेश को भी चिरतार्थ करती है। यहां मां पार्वती के काली स्वरूप के बगल में भगवान श्री गणेश विराजमान हैं।
तस्करों की थी नजर, पार कर दी थी मूर्ति
इस प्रतिमा पर तस्करों की भी निगाह टिकी हुई थी। जिसे कुछ साल पूर्व अज्ञात लोगो ने पार कर दिया था। जिसे लेकर जिले के श्रद्धालुओं द्वारा काफी विरोध प्रदर्शन भी किया गया था। हालांकि बाद में पुलिस ने इसे बरामद कर लिया था। जिसके बाद दोबारा उसी स्थान पर स्थापित किया गया था। सिंहपुर मंदिर से तस्करों द्वारा चोरी की गई यह प्रतिमा मुरैना में तस्कर छोड़कर भाग निकले थे।
इनका कहना है
प्रदेश में यह अद्भुत प्रतिमा है जो कि 10 वीं सताब्दी कल्चुरी कालीन है। सौम्य मुद्रा में अष्टभुजी नृत्य गणेश 64 योगिनियों के साथ विराजमान है।
आरएन परमार, पुराविद्
और पढ़ें
Updated on:
03 Sept 2019 12:48 pm
Published on:
03 Sept 2019 12:13 pm
बड़ी खबरें
View Allशहडोल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
