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डेंटिस्ट डे: दांत और मसूड़े ही नहीं, जान भी बचा चुके हैं डेंटिस्ट

ओरल कैंसर और फाइब्रोसिस जैसे गंभीर बीमारियों से भी बचा रहे डेंटिस्ट

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Dentist has saved lives

डेंटिस्ट डे: दांत और मसूड़े ही नहीं, जान भी बचा चुके हैं डेंटिस्ट

शहडोल। दांतों की चमक और सही फेस देने वाले डेंटिस्ट सिर्फ दांत और मसूड़ों के इलाज तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कई बार लोगों की जान भी बचा चुके हैं। दांतों के अलावा मुंह से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों में डेंटिस्ट भगवान साबित हुए हैं। यहां डेंटिस्ट ने न केवल नि:शुल्क इलाज दिया, बल्कि मरीजों की जान भी बचाई है। इतना ही नहीं आदिवासी अंचल में बढ़ते ओरल कैंसर को लेकर भी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल के डेंटिस्ट्स ने अभियान भी चलाया है। गांव-गांव स्क्रीनिंग करते हुए मरीजों का इलाज कर रहे हैं। जिला अस्पताल के दंत रोग विभाग के अनुसार हर माह ओरल कैंसर के एक से दो मरीज आ रहे हैं। इसके साथ ही हर माह पांच से छह फाइब्रोसिस (मुंह का न खुलना) के मरीज आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल के डेंटिस्ट ऐसे मरीजों को अलग रखकर इलाज दे रहाहै।


केस 1 - बॉल के बराबर मुंह से ट्यूमर निकाला
हाल ही में जिला अस्पताल के डॉ पुनीत श्रीवास्तव, डॉ नमन अवस्थी और डॉ स्वाती सिंह ने एक आदिवासी किशोरी को नि:शुल्क इलाज देते हुए मुंह से बॉल के बराबर ट्यूमर निकाला था। किशोरी का ट्यूमर लगाकर बढ़ रहा था और जान को खतरा था। परिजनों के पास इलाज के भी पैसे नहीं थे, जिसके बाद जिला अस्पताल में इलाज किया।


केस 2 - दो टुकड़े होने के बाद नाक की हड्डी जोड़ी
लगभग चार माह पूर्व जिला अस्पताल में एक गरीब बच्चे की डॉक्टरों की टीम ने नाक की हड्डी दोबारा जोड़ी थी। मासूम के नाक की हड्डी दो टुकड़े में थी। डॉ नमन अवस्थी ने यहां मासूम को नि:शुल्क इलाज देते हुए दोबारा नाक की हड्डी जोड़ी थी। इससे मासूम को जान का भी खतरा था।


केस 3 - स्वेलिंग के बाद बंद हो जाती सांस
इंफेक्शन की वजह से शहर से सटे एक गांव के मरीज के मुंह में लगातार स्वेलिंग बढ़ रही थी। लुडविड्स एंजाइना नामक बीमारी से पीडि़त था। इससे स्वेलिंग बढऩे के साथ गला चोक होने के खतरा था। चोक होने की वजह से सांस रुक जाती। डेटिस्ट डॉ परीक्षित सिंह ने ट्यूब से अतिरिक्त नली बनाकर इलाज किया। अब युवक स्वस्थ है।


केस 4 - भालू का हमला, जान के साथ आंख में भी खतरा
शहर से सटे चकोडिय़ा गांव में एक ग्रामीण पर भालू ने प्राणघातक हमला कर दिया था। भालू के हमल से जान के साथ आंख में भी खतरा था। दंत रोग विशेषज्ञ डॉ जीएस परिहार ने इलाज में मदद करते हुए मरीज श्यामलाल पलिहा की आंखों के साथ जान भी बचाई। भालू के हमले से मरीज को काफी चोट आई थी।