
Fall army worm pests are on the rise
शहडोल. वर्तमान में मक्का उत्पादक किसानों के लिए काफी सावधानी बरतने की आवश्यकता है, क्योंकि अमेरिका से आया कीड़ा फॉल आर्मी वर्म अब जिले में पहुंच चुका है। जिसका प्रकोप संभागीय मुख्यालय के समीपी ग्राम कठौतिया में देखने को मिला है और यदि इस पर शीघ्र नियंत्रण नहीं किया गया तो यह जिले के 18 हजार100 हैक्टेयर भूमि पर बोई गई मक्के की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसकी जानकारी ग्राम कठौतिया के कृषक गुलाब सिंह जोधावत ने कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों को दी गई है। नतीजतन कृषि वैज्ञानिकों की एक टीम बुधवार को ग्राम कठौतिया जाएगी और कृषकों को कीट नियंत्रण के उपाय बताएगी। बताया गया है कि फॉल आर्मी वर्म खासकर मक्का की फसल चटकर जाता है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप बेकाबू होने के पहले किसानों को बचाव के उपाय शुरू कर देने चाहिए। यह भी सामने आया है कि बारिश की कमी से फसलों की वृद्धि नहीं हो रही। जिसकी वजह से फॉल आर्मी वर्म कीट को पनपने का पूरा मौका मिल रहा है।
बारिश में लंबे गैप की वजह से प्रकोप बढऩे का खतरा
बताया गया है कि वर्तमान में जिले में जिस प्रकार से बारिश का दोैर चल रहा है। उससे फॉल आर्मी वर्म कीट के प्रकोप का खतरा बढ़ सकता है। बारिश में लम्बा गैप और वातावरण में नमी के कारण फॉल आर्मी वर्म कीट को बढऩे के लिए पर्याप्त माहौल मिल जाता है। यह कीट मक्के के पौधे को बढऩे से शक्ति को समाप्त कर देता है और यदि समय पर इसका नियंत्रण नहीं किया गया तो पूरा पौधा ही चट कर जाता है।
बारिश नहीं तो घट जाएगी पैदावार
्र्बताया गया है कि यदि एक सप्ताह तक लगातार बरसात नहीं हुई, तो फसलों की पैदावार पर काफी असर पड़ेगा। फसल पर कीट रोग प्रकोप के लिए यह सबसे उपयुक्त मौसम है। बरसात में कीट की लटें तत्काल खत्म हो जाती, पर बरसात में गैप से उन्हें फैलने के लिए माहौल मिल गया। इससे फसलों पर ज्यादा संकट है। इस साल जिले में 18 हजार100 हैक्टेयर में मक्का की खेती की गई है।
क्या है फॉल आर्मी वर्म
फॉल आर्मी वर्म मक्का में फैलता है, पत्तियों और मक्का के भुट्टों को चटकर जाता है। यह सैन्य कीट है, कीट के आखिरी खंड पर चार काले धब्बों की कमी है, पीले ततैये इन्हें खाते हैं। फसलों में फॉल आर्मी वर्म और दूसरे कीट, रोगों के प्रकोप के लिए उमस का मौसम मददगार है।
कृषक ऐसे करें कीट का नियंत्रण
कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. मृगेन्द्र सिंह एवं मृदा वैज्ञानिक डॉ. पीएन त्रिपाठी ने बताया है कि ग्राम कठौतिया में फॉल आर्मी वर्म कीट के प्रकोप की जानकारी मिली है। फिलहाल अभी किसान इमामेक्टीनबेंजोएट 80 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाकर छिडक़ाव करें। इसी तरह चार किलो धान का चोकर को दो लीटर पानी में डालकर उसमें आधा किलो गुड़ व 50 से 100 एमएल कीटनाशक मिला दें और 24 घंटे के बाद उसे मक्के के पोंगली में डाले। इसी प्रकार जैविक कीटनाशक विवेरियावैटियाना को 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ के हिसाब से 300 लीटर पानी में घोल बना कर छिडक़ाव करें।
Published on:
07 Aug 2019 07:00 am
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