16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इस जिले में लाइसेंस बनवाने फीस निर्धारित नहीं, बाबू व आरटीओ एजेंट के भरोसे दफ्तर

साहब अपनी मर्जी के तर्ज पर चला रहे आरटीओ कार्यालय

3 min read
Google source verification
इस जिले में लाइसेंस बनवाने फीस निर्धारित नहीं, बाबू व आरटीओ एजेंट के भरोसे दफ्तर

इस जिले में लाइसेंस बनवाने फीस निर्धारित नहीं, बाबू व आरटीओ एजेंट के भरोसे दफ्तर

शहडोल. जिले का आरटीओ कार्यालय में इन दिनों बाबूओं व एजेंटों के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। ऑफिस में परिवहन विभाग के नियमों को दरकिनार कर कार्य किया जा रहा है। वाहनों से संबंधित दस्तावेज दुरुस्त कराने से लेकर लाइसेंस बनाने तक मनमाना फीस वसूला जा रहा है। जिसका मुख्य कारण है कि आरटीओ अधिकारी को दो जगह का प्रभार दिया गया है। जिसके कारण वह शहडोल हफ्ते में एकाध दिन ही पहुंचते हैं। पत्रिका की टीम ने लगातार आरटीओ कार्यालय पहुंचकर स्थितियां देखी। यहां सिस्टम में सुधार की काफी गुजाइंश नजर आई। पत्रिका स्टिंग के दौरान ऑफिस में साहयक गेड-2 व सहायक ग्रेड-3 के दो बाबू के साथ कम्प्यूटर रूम में कुछ कर्मचारी कामकाज करते देखे गए। लायसेंस बनवाने के लिए जयसिंहनगर व ब्यौहारी क्षेत्र से कुछ युवा आए हुए थे। जिनसे एजेंट मनमाना फीस लेकर लायसेंस बनवाने की प्रक्रिया पूर्ण कर रहे थे। एजेंटों से बातचीत करने पर विकलांग का भी लाइसेंस बनवाने की बात कह दी। कहना था बिना लाए लाइसेंस बनवा देंगे।
लाइसेंस बनवाने फीस निर्धारित नहीं
लर्निंग से लेकर हैवी लाइसेंस बनवाने तक के लिए आरटीओ में फीस निर्धारित नहीं है। लायसेंस बनवाने लोगों को एक से डेढ़ महीने का इंतजार करना पड़ता है। जबकि आरटीओ की रसीद इससे कम की काटी जाती है। पत्रिका टीम लाइसेंस बनवाने आए लोगों से चर्चा की। जिसमें लल्लू सिंह ने बताया कि वह हैवी लाइसेंस बनवाने के लिए 7000 रुपए एजेंट को दिया है। राकेश सिंह निवासी जयसिंहनगर ने बताया कि उससे लर्निंग लाइसेंस बनावने के लिए 2800 रुपए लिए गए हैं। जबकि बुड़वा ब्योहारी से आए धीरेेंद्र व विवेक ने बताया कि 3000 हजार रुपए एजेंट को दिए है। एक महीने बाद फोटो खिचाने के लिए बुलाया गया है। आरटीओ कार्यलय में आज भी लोगों को लाइसेंस बनवाने के लिए एजेंटो व दलालों का सहारा लेना पड़ता है। यहां पर मनामना फीस वसूल कर लायसेंस के लिए फोटो खिंचाया जाता है। जबकि उसके पहले की प्रक्रिया पूर्ण नहीं कराई जाती। वहीं मनमाना फीस न देने वाले को कई बार आरटीओ कार्यलय के चक्कर लगाने मजबूर होना पड़ता है।
एक साथ फाइल में होते हैं हस्ताक्षर
पत्रिका टीम से बातचीत में सहायक ग्रेड-3 के कर्मचारी शिवशंकर सिंह ने कहा साहब के पास दो जिलों का प्रभार है। जिसके कारण रोज नहीं बैठते। हफ्ते में एक दिन आते हंै और एक साथ सभी फाइलों में हस्ताक्षर कर देते हैं। जिसमें परमिट, रजिस्टे्रशन, लायसेंस जैसे कई दस्तावेज शामिल होते हैं। जबकि जानकारों ने बताया कि आरटीओ अधिकारी हफ्ते में नहीं आते जब उनका मन करता है तब आते हैं। जिसके कारण लोगों को काफी परेशान होना पड़ता है।
सबको वाहन चलाना आता है, टेस्ट की क्या जरूरत
आरटीओ कार्यालय में मनमानी का आलम यह है कि यहां पैसे के दम पर किसी को भी बिना टेस्ट ड्राइव के लायसेंस जारी कर दिया जाता है। कार्यालय परिसर में बने टेस्ट ड्राइव का स्थान पूरी तरह जर्जर हो चुका है। कमरे के दरवाजे टूट चुके हैं । वहीं कक्ष को बड़ी-बड़ी झाडिय़ों ने घेर लिया है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि अधिकारी बिना टेस्ट के ही लायसेंस जारी कर रहे हैं। वहीं बाबूओं ने भी कहा कि आजकल सभी से वाहन चलाते तो आता है। टेस्ट ड्राइव की जरूरत नहीं पड़ती।
एजेंट से बातचीत
रिपोर्टर- एक व्यक्ति का लाइसेंस बनवाना है।
एजेंट- बन जाएगा।
रिपोर्टर- कितने दिनों में ।
एजेंट- जल्द बनाव देंगे।
रिपोर्टर- फीस कितनी लगेगी।
एजेंट- तीन हजार रुपए।
रिपोर्टर- उनको आना पड़ेगा।
एजेंट- एक बार फोटो खिंचाने आना पड़ेगा।
रिपोर्टर- टेस्ट ड्राइव कब होगी।
एजेंट- उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, लाइसेंस मिल जाएगा।
रिपोर्टर- दिव्यांग हैं, कैसे बनेगा
एजेंट- हम करवा लेंगे, फीस थोड़ा ज्यादा होगी
रिपोर्टर- लर्निंग व लाइट अलग-अलग बनेगा क्या?
एजेंट- एक साथ भी बन जाता है फीस ज्यादा लगता है।