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यहां है अजगरों की बस्ती, देखकर आप भी रह जाएंगे दंग

इन्हें देखने के उमड़ रहा जनसैलाब

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Here is the town of python seeing you

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अंजनिया- वैसे तो एक अजगर या एक सांप कहीं निकल जाए तो हाहाकार मच जाता है, लेकिन यहां तो अजगरों की बस्ती ही है ये, ठंड बढऩे के साथ ही अजगरों की बस्ती अजगर दादर में सैलानियों की संख्या में इजाफा होने लगा है। क्षेत्र से लगभग ५ किलो मीटर दूर ककैया बीट में अजगरदादर क्षेत्र अजगरों की बस्ती के नाम से जाना जाता है। लगभग सात एकड़ के एरिया में फैले इस स्थान की गहराई 40 फिट है जो पूरी तरह से खोखली है। इस बस्ती में 4 फिट से लेकर 20 फिट के अजगर देखे जा सकते हैं। ठंड के समय इनका प्रजनन काल होता है जिसके चलते सुबह से दोपहर तक अजगर धूप सेंकने के लिए बाहर आते हैं। जिनको आसानी दे देखा जा सकता है। यही कारण है कि क्षेत्र में सैलानियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में जिला पंचायत सीईओ सोजान सिंह रावत अपने पूरे परिवार के साथ इस क्षेत्र में अजगरों को देखने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने ने भी इस बस्ती को जिले की महत्वपूर्ण विरासत बताया।

IMAGE CREDIT: patrika

अजगर दादर अजगरों के रहने के प्राकृतिक आवास के रूप में जानी जाती है। यहां बड़ी संख्या में अजगरों के पाये जानें पर वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि कालांतर में गुफाओं के धसकने से नीचे जगह बन गई है, जो अजगरों के रहने के लिए माकूल और सुरक्षित स्थान है। यहां छिपकली, खरगोश, गिरगिट और चूहे भी अधिक संख्या में पाए जाते हैं। जिससे अजगरों को आसानी से भोजन मिल जाता है। ये अजगर आस-पास के करीब एक से दो किलोमीटर के क्षेत्र में शिकार करते हैं। जानकारी के अनुसार अजगर दादर में प्रतिदिन सुबह 9 बजे से पर्यटकों का आना जाना लग जाता है। अवकाश के दिनों में बड़ी संख्या में संख्या में पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। अजगरों की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए वन विभाग द्वारा यहां सुरक्षा श्रमिकों की तैनाती भी की गई है।

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इन अजगरों में आसपास के ग्रामीणो की गहरी धार्मिक आस्था है। ये ग्रामीण सालों से विशेष पर्वों में इन अजगरों की पूजापाठ करते चले आ रहे है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अजगरों से खतरा महसूस नहीं होता और अजगरों ने उन लोगों को कभी नुकसान भी नहीं पहुंचाया। यही वजह है कि ग्रामीण उनकी सुरक्षा को लेकर बेहद सावधान रहते हैं। कुछ अजगर अपनी मस्तानी चाल से बेफिक्र यहां चल कर धूप सेंकते रहते हैं। वहीं अन्य अजगर चटटानों के बीच सुरक्षात्मक तरीके से आराम फरमाते है। मालूम हो कि लगभग पांच वर्ष पहले रेंजर सुधीर मिश्रा गश्त के दौरान करीब एक दर्जन अजगर एक साथ होने की खबर मिली थी। जिसके बाद उन्होंने अजगरों पर दिलचस्पी दिखाते हुए उनके संरक्षण के लिए वरिष्ठ अधिकारीयों को प्रस्ताव भेजा। जानकारों का कहना है कि अजगर कोल्ड ब्लडेड होते है। सर्दी के मौसम में अपनी प्रकृति के चलते अजगरों को सूर्य के प्रकाश की जरूरत होती है परिणामस्वरूप वे बाहर निकलते है और ग्रामीणों के आकर्षण का केंद्र बन जाते है। नर, मादा और बच्चों का यह तालमेल केवल इन्ही दिनों देखने को मिलता है। अजगर जहरीला भी नहीं होता। मादा का स्वभाव यह कि अपने अंडों व बच्चों के पास वह ठंड के तीन महीनों तक रहती है जब तक उसके बच्चे बडे ़होकर आजाद जीवन जीने न लगे।

इनका कहना है
मंडला जिला पंचायत सीईओ सोजान सिंह रावत के मुताबिक अजगर दादर वाकई एक दर्शनीय स्थल है और सैलानियों केे लिए बेहद रोमांचकारी भी। इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बेहद संभावनाएं भी हैं।