
शहडोल- जिले में व्यापक स्तर पर मिलावट का कारोबार चल रहा है। पिछले लंबे समय से मिलावटखोरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई न होने की वजह से हौंसले बुलंद हैं। नतीजन बड़े व्यापारी बेखौफ होकर मिलावट का कारोबार कर रहे हैं। विड़बना की बात तो यह है कि मिलावट और अमानक का आरोप तय होने के बाद भी अफसर इन व्यापारियों पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।
इसमें कई बड़े और रसूखदार व्यापारियों की फाइल भी शामिल हैं। इसके चलते अफसर इन पर आरोप तय होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। खाद्य एवं औषधि प्रबंधन विभाग के अनुसार जिलेभर से सेंपल लेकर लैब जांच के लिए भेजा जाता है। लैब से पिछले पांच सालों में कई प्रकरण फेल हुए हैं। इसमें ३५ प्रकरणों पर लापरवाही और अनियमितता तय होने के बाद एडीएम कोर्ट में जुर्माना और कार्रवाई के लिए भेजा गया है लेकिन अभी ३५ फाइल अटकी हुई हैं।
सजा तक का है प्रावधान
खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2008 के तहत कड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। खाद्य व औषधि विभाग द्वारा दुकानों से नमूना लेकर संबंधित के विरुद्ध जुर्माना का प्रावधान है। यहां तक की खाद्य अधिकारी दुकान का पंजीयन भी निरस्त कर सकते हैं। वहीं अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत छह माह से लेकर सात साल तक की सजा और 25 हजार से लेकर दस लाख रुपए तक के सजा का प्रावधान किया गया है। इसके बाद भी विभाग की अनदेखी और लापरवाही के चलते अब तक गिनती के ही सेंपल लिए गए है। विभाग द्वारा त्योहारों के समय कार्रवाईकर खानापूर्ति कर ली जाती है।
लड्डू, मावा सहित कई खाद्य के सेंपल
खाद्य विभाग ने जिलेभर से लड्डू, पान, दूध, मावा, मिठाई सहित कई खाद्य सामग्रियों के सेंपल लेकर भोपाल लेबोलेट्री लैब भेजे हैं। इसके सेंपल मिस ब्रांडेड (अमानक) और मिथ्या मिलने पर एडीएम कोर्ट में जुर्माना के लिए भेज दिया जाता है। वहीं अनसेफ (जान के लिए बेहद खतरनाक) मिलने पर सिविल कोर्ट भेजा जाता है। खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2008 के तहत कार्रवाई के लिए तीन तरह की व्यवस्था दी गई है। जिसमें अमानक, असुरक्षित और मिस ब्रांडेड समानों को विभाजित किया गया है। अमानक सामानों व मिस ब्रांडेड के लिए जुर्माना और स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित सामानों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है।
सुनवाई हो तो छह प्रकरणों में होगी सजा
खाद्य एवं औषधि प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार अनसेफ फूड मिलने पर कार्रवाई के लिए सिविल कोर्ट भेज दिया जाता है। लैब रिपोर्ट आने के बाद अभी ६ प्रकरणो ंकी फाइल भेजी गई है लेकिन अभी तक निर्णय नहीं हुए हैं। इन प्रकरणों पर सुनवाई से मिलावटखोर व्यापारियों के खिलाफ जुर्माना और सजा से दंडित की कार्रवाई हो सकती है।
स्वास्थ्य पर पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव
- मिलावटी दूध व घी के सेवन से स्नायु तंत्र प्रभावित होता है।
- बच्चों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- मिलावट मसाले व अन्य खाद्य पदार्थ उदर संबंधित बीमारियों को जन्म देते हैं।
- त्वचा सहित एलर्जिक रोग का कारण बनते हैं।
- खाद्य तेल में मिलावट बीमारियों का कारण बनती हैं।
इनका कहना है
खाद्य एवं औषधि प्रबंधन के निरीक्षक बृजेश विश्वकर्मा के मुताबिक अमानक, मिथ्या और अनसेफ फूड लैब से पुष्टि होने के बाद कार्रवाई के लिए एडीएम और सिविल कोर्ट भेज दिया जाता है। 2013 से अब तक 35 प्रकरणों की फाइल एडीएम कोर्ट में पेडिंग है। हाल ही में कुछ प्रकरणों में सुनवाई के बाद जुर्माना हुआ है। जल्द ही अन्य फाइलों को कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा।
Published on:
07 Mar 2018 11:44 am
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