
बर्फ की खपत बढ़ी फैक्ट्री संचालक मनमानी तौर पर कर रहे बर्फ का निर्माण, अधिकारियों ने नहीं लिए एक भी सैंपल
शहडोल. गर्मी के साथ ही गला तर करने के लिए शीतल और खाद्य पदार्थ की मांग शहर में बढ़ गई है। कमाई के फेर में शीतल पेय पदार्थों को बर्फ घोलकर बेचा जा रहा है। आइस फैक्ट्री में बन रही बर्फ को सीधे ठेलों,होटलों और कैटरिंग तक आपूर्ति की जा रही है। खाद्य विभाग की ढीली कार्यवाही से तरावट के लिए बर्फ का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। शीतल पेय पदार्थों में तरावट बढ़ाने के लिए मिलाई जा रही बर्फ लोगों की सेहत बिगाड़ सकती है। पानी, लस्सी, गन्ना रस, शरबत, शेक और जूस को ठंडा करने के लिए बर्फ का उपयोग हो रहा है। आम लोगों को शुद्ध बर्फ की पहचान नहीं होने का फ ायदा उठाकर ठेलों से लेकर होटल तक में बर्फ की खपत हो रही है। जल से निर्मित बर्फ कैटरिंग में फ लों के सलाद बर्फ के गोले कुल्फ ी में उपयोग हो रहा है। इसके सेवन से गले में कई प्रकार के इन्फेक्शन व डायरिया, टाइफाइड जैसी बीमारी की आशंका लोगों में बनी रहती है।
पानी की गुणवत्ता संदिग्ध
आइस फैक्ट्रियों में बर्फ जमाने के लिए उपयोग किए जा रहे जल की गुणवत्ता को विभाग ने इस सीजन में जांच की नहीं की है। जिससे फैक्ट्रीयों में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा। बर्फ की फैक्ट्रियो में मानक पानी से ही खाद्य बर्फ बनाने के प्रावधान की अनदेखी कर बर्फ फैक्ट्री संचालक मनमाने तरीके से पानी का कर बर्फ बनाने का कार्य किया जाता है। इसकी न तो कभी संबंधित विभाग जांच करहता है और न ही इन फैक्ट्री संचालकों की मनमानी पर रोक लगाई जाती है।
लोगों को नहीं बर्फ की पहचान
आमतौर पर बर्फ दो प्रकार के बनाए जाते है पहला खाद्य बर्फ व दूसरा अखाद्य बर्फ। खाद्य बर्फ को खाने-पीने के सामानों में मिलाया जाता है जिसका कलर पानी की तरह होता है। वहीं अखाद्य बर्फ का कलर नीले रंग का होता है पर खाने पीने के सामनों पन नहीं मिलाया जा सकता। शहर में बर्फ संचालक एक ही प्रकार के बर्फ का उत्पादन करते है जिससे लोगों को यह पता नहीं चल पाता कि यह खाद्य बर्फ है या अखाद्य बर्फ है। विभाग द्वारा भी इस संबध में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई।
शहर में इस तरह है बर्फ की कीमत
बड़ी सिल्ली 250 से 300
मीडियम सिल्ली 100 से 150
छोटी सिल्ली 40 से 75
इनका कहना है
विभाग द्वारा नियमित कार्यवाही की जाती है पर इस सीजन में अभी तक बर्फ की फैक्ट्रियों पर कार्यवाही नहीं की गई है।
आरके सोनी, खाद्य एवं औषधि अधिकारी।
Published on:
02 May 2022 12:18 pm
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