
शहडोल- अध्यापकों के शिक्षा विभाग में संविलियन किये जाने की मांग को प्रदेश सरकार ने मान लिया है। जिसके बाद अब सातवें वेतन मान की उम्मीद भी बढ़ गई है। अभी तक वह नगरीय निकाय और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारी थे अब वह शिक्षा विभाग के कर्मचारी कहलायेंगे।
इससे अध्यापकों की आर्थिक स्थिति के साथ ही शिक्षा के गुणात्मक सुधार में भी इसका कहीं न कहीं अच्छा प्रभाव पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि अध्यापक संघ लगभग 20 वर्ष से संविलियन की मांग को लेकर लगातार संघर्ष कर रहा था। जिसके बाद अब कहीं जाकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उनकी इस मांग को स्वीकार करते हुये शिक्षा विभाग में संविलियन किये जाने की घोषणा कर दी है।
जिससे जिले के लगभग 31 सौ अध्यापक लाभान्वित होंगे। जिससे जिले के 235 वरिष्ठ अध्यापक, 880 अध्यापक व 1970 सहायक अध्यापक लाभान्वित होंगे।
अध्यापकों के संविलियन की मांग मान ली गई है। इससे अब जहां अध्यापक शिक्षक कहलायेंगे वहीं इन्हे अब बढ़े हुये वेतन का भी लाभ मिलेगा। जानकारों की माने तो अभी तक वरिष्ठ अध्यापकों को लगभग 48876, अध्यापको को 41706 व सहायक अध्यापकों को 37404 रुपये मिलते थे। संविलियन के बाद इनके वेतन में 3 से 5 हजार रुपये की बढ़ोत्तरी संभव है।
प्रदर्शनकारियों को चिन्हित कर करें कार्रवाई
शैक्षणिक कार्य छोंड़कर आंदोलन प्रदर्शन कर रहे अध्यापक व संविदा शाला शिक्षकों को लेकर लोक शिक्षण संचालनालय ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा कलेक्टर, सीईओ, मुख्य नगर पालिका अधिकारी को पत्र जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि शासन के विरुद्ध सतत् रूप से प्रदर्शन करने एवं संस्थाओं से अनुपस्थित रहने वाले अध्यापक / संविदा शाला शिक्षक जिनके द्वारा 13 जनवरी को भोपाल में प्रदर्शन किया है एवं मुण्डन कराया है एवं सतत् रूप से जिलों एवं अन्य स्थानों पर प्रदर्शन कर रहे हैं उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाये। इन अध्यापकों / संविदा शाला शिक्षकों का चिन्हांकन जिला शिक्षा अधिकारी, विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी, संकुल प्राचार्य के माध्यम से किया जाये एवं इनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाये। इसके लिये लोक शिक्षण संचालनालय से प्रोफार्मा तैयार कर भेजा गया है। जिसमें पूरी जानकारी भरके २५ जनवरी तक ई मेल आई डी में मंगाई गई है।
विभाग की छवि को पहुंचा रहे छति
पत्र में कहा गया है कि शिक्षकों का यह आचरण शिक्षकीय आचरण एवं संसदीय परम्परा के विरुद्ध है। इस प्रकार के प्रदर्शन से विभाग एवं सरकार की छवि को छति पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। अध्यापको के आंदोलन में शामिल होने की वजह से प्रत्यक्ष रूप से अध्यापन कार्य संचालित नहीं होने का प्रभाव विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों के भविष्य पर पड़ रहा है।
शैक्षणिक संस्थाओं के प्रमुख प्राचार्य / प्रधानाध्यापक तथा विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी अनुपस्थित अध्यापकों के संबंध में अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में कोताही कर रहे हैं एवं संभवत: अनुपस्थित अवधि का वेतन भुगतान भी सत्त रूप से किया जा रहा है।
इन अधिकारियों का यह कृत्य उचित नहीं है एवं अनियमितता की शिकायत प्राप्त होने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाये एवं इसकी सतत् मॉनीटरिंग भी कराई जाए।
Published on:
24 Jan 2018 12:31 pm
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