
Limited RTO and traffic to routine screening and meeting
शहडोल। इंदौर बस हादसे ने भले ही हर किसी को झकझोर कर रख दिया हो लेकिन शहडोल का परिवहन और यातायात विभाग पूरी तरह गैर जिम्मेदार बना हुआ है। आरटीओ और यातायात विभाग रूटीन जांच और मीटिंग तक सीमित है। स्थिति यह है कि परिवहन विभाग को यह पता ही नहीं है कि अंतिम जांच स्कूली बसों की कब की गई है। उधर यातायात विभाग भी रूटीन जांच का बहाना बताकर पल्ला झाड़ रहा है। शहडोल में यातायात और आरटीओ अमला मौजूदा नियमों का पालन भी स्कूल बसों से नहीं करा पा रहा है। शहडोल में १० स्कूलों की ३० बसें दौड़ रहीं हैं, लेकिन प्रशासनिक नुमाइंदों को इन स्कूली बसों को चेक करने की फुरसत ही नहीं है। परिवहन विभाग के गैर जिम्मेदार रवैया की स्थिति यह है कि कब चालान किए गए आरटीओ को जानकारी ही नहीं है।
30 बसों में 3 हजार करते हैं आवागमन
शहडोल शहर से लेकर बुढ़ार, ब्यौहारी के ऐसे १० बड़े स्कूल हैं, जहां ३० स्कूल बसों को अनुबंध है। लगभग तीन हजार स्कूली छात्रों को इन बसों से ही लाया और ले जाया जाता है लेकिन प्रशानिक अमला विशेष अभियान चलाकर इन बसों की चेकिंग नहीं करता है। मामला मासूमों से जुड़ा है फिर भी प्रशासनिक अधिकारी और यातायात अमला संवेदनशीलता नहीं दिखा रहा है। आरटीओ को पिछले एक वर्ष में एक भी स्कूल बस अनफिट नहीं दिखी है। वहीं यातायात भी अनदेखी पर कार्रवाई नहीं करता।
इन नियमों को दरकिनार कर दौड़ रही बसें
स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस सिस्टम से बसों की निगरानी, फायर उपकरण, छात्राओं की बसों में महिला सहायका, बसों का रंग, नंबर प्लेट सहित तमाम नियम हैं। ताकि महिलाओं और छात्रों की सुरक्षा हो सके। लेकिन अभी भी अधिकांश स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस सिस्टम नहीं लगाया गया है। बसों की नियमित जांच भी नहीं हो रही है। परिजनों के जिगर के टुकड़े की सुरक्षा को लेकर स्कूल प्रबंधन लापरवाह हैं।
इन घटनाओं को भूले अफसर, फिर हो सकती है घटनाएं
संभाग में स्कूली बसों में कई हादसे हो चुके हैं। घटना के तुरंत बाद कार्रवाई को लेकर निर्देश हुए लेकिन मामला बाद में शांत हो गया। उधर स्कूल प्रबंधन ने भी सामान्य कार्रवाई कर मामले को रफा दफा कर दिया।
केस - 1
शराब के नशे में दौड़ा रहा था बस
हाल ही में सरस्वती स्कूल शहडोल के बस चालक ने शराब के नशे में बच्चों को बैठाकर शहर की सड़कों में दौड़ा रहा था। शराबी बस चालक ने कई राहगीरों को टक्कर मारते हुए भागने का प्रयास कर रहा था तभी लोगों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था। मामले में पुलिस और प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। उधर स्कूल प्रबंधन ने भी बस चालक के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की।
केस- 2
स्कूली बस में शराब, शाम को घर पहुंचे छात्र
हाल ही में अनूपपुर जिले में कॉलरी की एक बस में बड़ी लापरवाही उजागर हुई थी। रामनगर में चलने वाली स्कूली बस के चालक ने बच्चों को बैठाकर जंगल गया था। यहां पर अपने साथी के साथ शराब पी थी। बाद में मामला सामने आया तो पता चला कि बच्चों को बैठाकर जंगल ले गया था और शाम सात बजे बच्चों को छोड़कर गया। मामले में पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई और न ही स्कूल प्रबंधन द्वारा की गई।
केस 3
नहीं थी बस में जाली, गिरने से मासूम की मौत
अनूपपुर के रामनगर में २ साल पहले दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर दिया था। यहां पर खिड़की में जाली न होने से एक मासूम नीचे गिर गया था। गिरते ही मासूम को एक वाहन ने कुचल दिया था। मामले में परिवहन विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई थी। मामले में जांच के निर्देश हुए थे लेकिन बीतते समय के साथ मामला रफा दफा हो गया। मौत मामले में कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई थी।
रुटीन चैकिंग होती है। जिले की स्कूल बसें फिट हैं, विशेष अभियान के लिए हमारे पास स्टाफ की कमी है। अन्य संभागों की तरह शहडोल में भी लाइंस गार्ड होना चाहिए ताकि रेगुलर स्कूल बसों पर निगरानी हो पाए। रूटीन जांच चल रही है एक साल में कोई भी अनफिट बसें नहीं मिलीहैं।
एलआर सोनवानी, आरटीओ शहडोल।
हम रूटीन जांच कर रहे हैं। हाल ही में दो बसों पर कार्रवाई की थी। एक भी अनफिट स्कूली बसें नहीं मिली है। स्कूली बसों में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है तो अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।
नित्यानंद पांडेय, प्रभारी
यातायात विभाग, शहडोल
Published on:
06 Jan 2018 09:29 pm
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