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सतना की घटना से बढ़ी परिजनों की चिंता, कहा- जांच के बाद ही चढ़ाया जाए ब्लड

संभाग में थैलेसीमिया व सिकलसेल के 505 मरीज, 200 से अधिक को नियमित चढ़ता है खून

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संभाग में थैलेसीमिया व सिकलसेल के 505 मरीज, 200 से अधिक को नियमित चढ़ता है खून
शहडोल. जिला चिकित्सालय में स्थापित ब्लड बैंक से हर महीने 200 से अधिक थैलीसीमिया व सिकलसेल मरीजों को रक्त की आपूर्ति की जाती है। सतना जिला चिकित्सालय में संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने से चार बच्चे एचआइवी पॉजिटिव मिलने के बाद जिले में थैलेसीमिया व सिकलसेल मरीज के परिजन चिंंितत हैं। इस लापरवाही की अन्य जिलों में पुनरावृत्ति न हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों में संचालित सरकारी और निजी ब्लड बैंकों का ऑडिट कराने का निर्णय लिया है, जिससे परिजनों की उम्मीद की जागी है। समाजसेवी व मरीज के परिजनों ने कहा कि पत्रिका की इस मुहिम से ब्लड बैंकों की ऑडिट होना एक सराहनीय पहल है।

पत्रिका की पहल सराहनीय

समाजसेवी रूपाली सिंघई ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि शहडोल में संभाग भर से थैलेसीमिया के 55 व सिकल सेल के 450 बच्चे पंजीकृत हैं, जिन्हें हर महीने ब्लड की आवश्यकता होती है। समय-समय पर ब्लड बैंकों की ऑडिट होनी चाहिए, जिससे मरीजों को सुरक्षित ब्लड की आपूर्ति हो सके। बच्चों के इस बीमारी को लेकर परिजन अक्सर तनाव में रहते हैं। सतना जिला चिकित्सालय में ब्लड बैंक की लापरवाही ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया है, जो चिंता का विषय है। डोनर से लेने वाले खून की एचआइवी, सिफलिस, हैपेटाइटिस बी, हैपेटाइटिस सी व मलेरिया की जांच के बाद ही मरीजों को खून दिया जाना चाहिए। पत्रिका की यह एक सराहनीय पहल है।

मेरी छह वर्षीय बेटी जन्म से ही थैलेसीमिया की मरीज है, हर 15 दिनों में ए पॉजिटिव खून चढ़ाया जाता है। उमरिया जिले में सुविधा न होने के कारण शहडोल जिला चिकित्साल जाने की मजबूरी बनती है। सतना की घटना सामने आने के बाद हम काफी चिंतित हैं। सरकार को ब्लड बैंक से मिलने वाले खून की अच्छी तरह जांच कराकर ही मरीजों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था पर सख्त नियम बनाना चाहिए।
लक्ष्मी विश्वकर्मा, परिजन बिरसिंहपुर

बेटी 1 साल 9 महीने की है, जन्म के छह महीने बाद जानकारी लगी कि उसे थैलेसीमिया की शिकायत है। 15 से 20 दिन में खून चढ़ाया जाता है। जिला अस्पताल से ब्लड उपलब्ध हो जाता है। कई बार डोनर की व्यस्था भी बनानी पड़ती है। जब से सतना की घटना सामने आई तब से ङ्क्षचता सताने लगी है। पत्रिका ने इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाया है, ब्लड बैंकों की नियमित ऑडिट होनी चाहिए, जिससे भविष्य में गड़बडी की संभावनाएं कम होंगी।
ओपी तिवारी, परिजन शहडोल


इनका कहना
ब्लड बैंक में शिविर के माध्यम से आने वाले रक्त की आवश्यक जांच कराई जाती है। इसके बाद ही मरीजोंं को ब्लड उपलब्ध कराया जाता है। हर महीने सिकलसेल व थैलीसीमिया के 200 से अधिक मरीजों को रक्तकोष से नि:शुल्क ब्लड दिया जाता है।
डॉ. समीम अहमद, ब्लड बैंक प्रभारी