Chit Fund Fraud: प्रदेश में चिटफंड कंपनियों ने सुरक्षित भविष्य के सपने दिखाकर लोगों को भरोसे में लिया। मोटी रकम कंपनियों में लगवाई और फिर भरोसे का खून कर रुपए लेकर चंपत हो गई। नतीजा, भोले-भाले लोग रुपए की वापसी के लिए सरकारी दफ्तरों की दौड़ लगाते रहे। रुपए तो नहीं मिले, लेकिन धोखे के इस धंधे में उन पर कर्ज चढ़ गया और मानसिक पीड़ा ऐसी रही कि वे 10-12 साल बाद भी दर्द से बाहर नहीं निकल सके। शहडोल के विष्णुकांत मिश्रा के जहां 84 लाख रुपए डूब गए। वहीं भिंड की सलमा बेगम के पति के निधन से जो 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि मिली, वह भी डूब गए। रुपए के बिना उसके बेटी की शादी भी टूट गई।
Chit Fund Fraud: शहडोल के विष्णुकांत मिश्रा को 2010 में एक युवक ने भरोसे में लिया। युवक ने पीएमएस सर्विसेज कंपनी का मालिक और शेयर बाजार का जानकार बता मिश्रा को आकर्षक मुनाफे का लालच दिया। जान-पहचान बढ़ी तो विष्णुकांत ने पहले एक लाख रुपए निवेश किए। कुछ माह उन्हें मुनाफा भी हुआ। इससे भरोसा बढ़ा और धीरे-धीरे उन्होंने और रुपए लगाए। ज्यादा मुनाफा देख विष्णुकांत ने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से भी उधार लेकर रुपए लगा दिए। 2010 से 2012 के बीच उनकी निवेश राशि 84.50 लाख रुपए हो गई। जैसे ही रकम बढ़ी, कंपनी ने धोखे का खेल शुरू कर दिया। पहले मुनाफा देना बंद किया। फिर विष्णुकांत ने मूलधन मांगी तो कंपनी आनाकानी करने लगी।
● चेक बाउंस: मूलधन पाने विष्णुकांत ने निवेश के बदले मिले चेक लगाए, बाउंस हो गए।
● कंपनी गायब: कंपनी का मालिक बताने वाला युवक भी फरार हो गया। 2013 में विष्णुकांत नेे रिपोर्ट दर्ज कराई,
● गिरफ्तारी: महीनों बाद युवक की गिरफ्तारी हुई। लेकिन जल्द ही जमानत पर बाहर आ गया। 12 साल बीते, पुलिस ने अब तक चालान नहीं पेश किया।
भिंड के दबोह की सलमा बेगम के जीवनभर की कमाई पलभर में चली गई। पति की मौत के बाद चार लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि मिली थी। इसी बीच एलजेसीसी चिटफंड कंपनी ने अक्टूबर 2020 में सुरक्षित गारंटी निवेश के साथ तीन साल में रुपए दोगुना करने के सपने दिखाए। मैनेजर कल्याण सिंह राठौर की बातों में आकर सलमा ने 4 लाख रुपए कंपनी में लगा दिए। चूड़ी बेचकर गुजारा करने वाली सलमा ने बच्चों के भविष्य के लिए भी पॉलिसी ले ली। कंपनी ने पैसे लगवाए और नवंबर 2024 में कंपनी के ऑफिस पर ताला लटक गया। मैनेजर कल्याण सिंह राठौर भी गायब हो गया। पुलिस ने कंपनी के मालिक समीर समेत दो पर एफआइआर दर्ज की। लेकिन मैनेजर हत्थे नहीं चढ़ा। वह घर का सामान लेकर भाग निकला।
चिटफंड कंपनी पर एफआइआर के बाद पुलिस की कार्रवाई जांच तक ही रही। कंपनी 500 लोगों से 50 करोड़ रुपए से अधिक रुपए लेकर भागी, लेकिन अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की।
खून-पसीने की कमाई लेकर कंपनी भागी तो सलमा की माली हालत बिगड़ गई। वह बीमार पड़ गई। दिंसबर में बेटी की शादी थी, टूट गई।
84 लाख रुपए डूबने के बाद विष्णुकांत को अपने स्तर से रिश्तेदारों व दोस्तों की उधारी लौटानी पड़ रही है। वे संपिायां और प्लॉट बेच रहे हैं।