
MP High Court Indore on
Housing Board Palakhedi Scheme: हाउसिंग बोर्ड (Housing Board) ने 13 साल पहले हातोद तहसील में आने वाले पालाखेड़ी में हाउसिंग स्कीम की घोषणा की थी। इस स्कीम (Housing Board Palakhedi Scheme) को हाई कोर्ट (MP High Court Indore) जस्टिस विवेक रुसिया की खंडपीठ ने बुधवार को खत्म कर दिया। इसके लिए 112 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना था।
अभिभाषक विनीति जय हार्डिया ने बताया कि, हाउसिंग बोर्ड ने वर्ष 2012 में पालाखेड़ी में स्कीम तैयार की थी। शुरुआत में ये स्कीम 154 हेक्टेयर जमीन पर थी, बाद में 112.94 हेक्टेयर की रह गई थी। हालांकि बोर्ड ने इसके लिए 119 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद कलेक्टर ने वर्ष 2013 में जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू कर दी थी। अधिग्रहण कार्रवाई के लिए जो सुनवाई हुई, वो अपर कलेक्टर ने की।
इसके साथ ही नियमों के तहत 2 साल में मुआवजा राशि जारी कर दी जानी थी, लेकिन कलेक्टर ने ये मुआवजा राशि भी जारी नहीं की, जिसके खिलाफ जमीन मालिकों, किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। लगभग 12 साल चले केस में हमारे द्वारा जमीन अधिग्रहण से जुड़े नियम और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए फैसलों को बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया, जिसे हाईकोर्ट ने मान्य कर लिया। हालांकि कोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड को दोबारा स्कीम लाने की छूट जरूर दी है।
कोर्ट ने जमीन अधिग्रहण कार्रवाई को खत्म करने वाला जो फैसला दिया, उसमें लिखा है कि जमीन पर केवल कब्जा लेने पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी, अन्य कार्रवाई पर नहीं। हाउसिंग बोर्ड ने बीते 13 साल में न तो स्कीम को फाइनल किया, न जमीन अधिग्रहण के लिए तय मुआवजे का 10 फीसदी जमा किया, न ही अन्य कार्रवाई की। ऐसे में स्कीम रखना सही नहीं है।
हाईकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड की लापरवाही और 12 साल तक किसानों की जमीन का उपयोग नहीं कर पाने के चलते नुकसान होने की बात कही। कोर्ट ने इसे गलत मानते हुए बोर्ड को सभी याचिकाकर्ताओं को 25-25 हजार रुपए जुर्माना अदा करने के आदेश दिए हैं। इस मामले में 75 लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सभी को 18 लाख 75 हजार रुपए हाउसिंग बोर्ड को देना होंगे।
जमीन अधिग्रहण से जुड़ी आपत्तियों को लेकर हाईकोर्ट में जमीन मालिकों की ओर से पक्ष रखा गया था कि नियमानुसार कलेक्टर को आपत्तियों की सुनवाई करनी थी। अपर कलेक्टर ने सुनवाई की और रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी। इस आधार पर अधिग्रहण कार्रवाई की गई, जो गलत है। इसे हाईकोर्ट ने सही माना। कोर्ट ने कहा कि यह स्थापित कानून है कि जहां किसी कानून के तहत किसी विशेष कार्य को एक विशेष तरीके से करने की आवश्यकता होती है, तो उस अधिनियम को केवल उसी तरीके से किया जाना चाहिए।
यह भी स्थापित कानून है कि न्यायिक शक्ति के साथ-साथ अर्ध न्यायिक शक्ति के प्रयोग में यह एक प्राधिकरण या न्यायाधीश के लिए है। जिस मामले का फैसला करना है, उसे संबंधित पक्षों को सुनना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने तय कर दिया कि भूमि अधिग्रहण की सभी आपत्तियों की सुनवाई केवल कलेक्टर को ही करना होगी।
पालाखेड़ी की ये स्कीम हाउसिंग बोर्ड ने जब तैयार की थी, उस समय बोर्ड जिस नगरीय प्रशासन और आवास विभाग के तहत आता है, उसके मंत्री कैलाश विजयवर्गीय थे। वहीं योजना खत्म होने के समय भी ये विभाग विजयवर्गीय के पास ही है।
हमें 13 साल से जो मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना दी जा रही थी, उससे मुक्ति मिली। चंद अफसरों ने हमारी जमीन हड़पने को योजना बनाई थी। हाईकोर्ट ने हमारे साथ न्याय किया है।
- राहुल पुरोहित, किसान
Published on:
10 Apr 2025 08:27 am
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