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प्ले स्कूल के संचालन के लिए नहीं है कोई गाइडलाइन

सुरक्षा व नियम से परे संचालित हो रहे प्ले स्कूल, स्कूल शिक्षा विभाग के पास नहीं है कोई नीति, न ही कोई नियम बनाया, बगैर मान्यता के होता है नर्सरी से केजी वन व केजी टू की कक्षाओं का संचालन

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प्ले स्कूल के संचालन के लिए नहीं है कोई गाइडलाइन

प्ले स्कूल के संचालन के लिए नहीं है कोई गाइडलाइन

शहडोल. अपने बच्चें को अच्छा और सबसे अच्छा व बेहतर बनने की चाह में माता-पिता अब स्कूल तक के समय का इंतजार नहीं करते और डेढ़ साल की उम्र में ही वह अपने बच्चे को प्ले स्कूल में भेजने लगे हैं। माता-पिता की चाह रहती है कि खुद के साथ वह अपने बच्चों को तहजीब, बात करने का ढंग और पढाई में अव्वल रखें। इसलिए अब प्ले स्कूल का फैशन बढ़ गया है। प्ले स्कूल के बढ़ते फैशन के कारण कई पैरेंट्स दूसरों की देखा-देखी भी अपने बच्चे को प्ले स्कूल में भेजने लगे हैं। इस प्रकार बदलते ट्रेंड ने जीवन को भी बदल दिया है और बच्चों के प्रति अभिभावकोंं की बढ़ती रूचि के मद्देनजर संभागीय मुख्यालय में एक के बाद एक प्ले स्कूल खुल गए है, मगर प्ले स्कूल के लिए शासन एवं प्रशासन स्तर पर क्या गाइड लाइन तय की गई है? वहां बच्चों की सुरक्षा के के क्या उपाय किए गए है? अभिभावक इसकी कोई पड़ताल किए बगैर ही प्ले स्कूल में बच्चों का दाखिला करा रहे हैं। जबकि अधिकांश प्ले स्कूल बिना नियम और कायदे के ही चल रहे हैं और बिना मान्यता के प्ले स्कूलों के बच्चों में खतरा मंडरा रहा है। इस पर शिक्षा विभाग का कोई अंकुश नहीं है। इन स्कूलों के लिए न ही स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों के पास कोई नीति है, न ही कोई गाइडलाइन। हालांकि महिला बाल विकास विभाग में गाइडलाइन तैयार होने की बात की जा रही है, मगर अभी महिला एवं बाल विकास के अधिकारी के पास भी कोई दिशा-निर्देश नहीं आए है। नतीजतन अधिकांश प्ले स्कूलों में प्ले कक्षा नर्सरी से लेकर केजी वन व केजी टू की कक्षाओं का संचालन बिना मान्यता के हो रहा है और इन कक्षाओं के लिए कोई मापदंड नहीं हैं।
नन्हे बच्चों पर मंडरा रहा है खतरा
संभागीय मुख्यालय में अधिकांश प्ले स्कूलों का संचालन व्यस्तम मुख्य मार्गों पर हो रहा है। जहां से अक्सर भारी वाहन गुजरते रहते हैं और जरा सी लापरवाही में बच्चों की जान जा सकती है। इसी प्रकार कुछ प्ले स्कूल दूसरी मंजिल पर संचालित हो रहे है। जिससे देखरेख के अभाव में किसी हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता है।
10-15 प्ले स्कूलों में जा रहे हैं सैकड़ों बच्चे
पत्रिका की पड़ताल पर पता चला कि संभागीय मुख्यालय में छोटे से बड़े स्तर पर करीब 10 से 15 प्ले स्कूलों का संचालन हो रहा है। इनमें से अधिकांश प्ले स्कूलों की कई शाखाओं का संचालन किया जा रहा है। प्रति स्कूल में औसतन 25 से 50 बच्चों की संख्या रहती है। जिन्हे एक-दो शिक्षकों के भरोसे मनोरंजन, खेलकूद व पढ़ाई व अन्य कई गतिविधियां कराए जाने का दावा किया जाता है।
फीस का भी नहीं है कोई निर्धारण
पता चला है कि प्ले स्कूलों में फीस कमेटी भी नहीं बनाई जाती है, जिससे संचालक द्वारा मनमानी फीस की वसूली की जाती है। सुविधाओं के अनुसार यह फीस पांच हजार से लेकर 15 हजार तक की होती है। इसके अलावा एडमिशन के नाम पर भी अतिरिक्त राशि ली जाती है। बच्चों को भी चार से छह घंटे तक स्कूल में रोका जाता है।
अफसर नहीं करते मॉनीटरिंग
प्ले स्कूलों की जिम्मेदार अधिकारी मॉनीटरिंग नहीं करते है। उनका स्पष्ट कहना है कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। शिक्षा विभाग के अधिकारी इसे महिला बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी बताते हैं तो महिला बाल विकास के अधिकारी कहते हैं कि इस संबंध अभी उनके पास कोई दिशा-निर्देश नहीं आए है। ऐसी दशा में प्ले स्कूलों का संचालन पूर्णत: मनमाने ढंग से हो रहा है।
गाइडलाइन में ये मुद्दे होंगे शामिल
जानकारों की माने तो महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जो गाइडलाइन तैयार की जा रही है। उसमें प्ले स्कूलों की गाइडलाइन में कंटेंट, सिक्युरिटी, सेफ्टी, इंफ्र ास्ट्रक्चर और टीचिंग-लर्निंग मैथड आदि विषय पर दिशा-निर्देश शामिल होंगे। साथ ही शिक्षकों की योग्यता, उनकी ट्रेनिंग की स्थिति, सिलेबस में विषय का प्रस्तुतिकरण, बिल्डिंग के हालात, उसमें बच्चों के मनोविज्ञान के हिसाब से लर्निंग-टीचिंग वातावरण की सुविधाएं, सीसीटीवी कैमरे, प्राथमिक चिकित्सा के साथ पेयजल और शौचालय की सुविधाएं खेल के लिए उचित खाली जगह और खिलौनों की स्थिति आदि का भी जिक्र होगा।

इनका कहना है
जिले में संचालित प्ले स्कूलोंं की जांच व मॉनीटरिंग के लिए अभी हमारे पास कोई गाइडलाइन नहीं है। प्ले स्कूलों की मान्यता लेने का अभी कोई प्रावधान नहीं किया गया है। वैसे भी शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों के लिए महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन किया जाता है।
रणमत सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी, शहडोल

जिले में संचालित पांच बाल शिक्षा केन्द्रों के संचालन व मॉनीटरिंग विभाग द्वारा की जा रही है। इसके अलावा प्ले स्कूल के लिए अभी हमें उच्चाधिकारियों द्वारा कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए है।
मनोज लारोकर, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास, शहडोल

जब कोई बच्चा अपने परिजनों, स्कूल या अभिभावकों से बिछड़ जाता है, तब उसे संरक्षित व सुरक्षित करने के लिए बाल कल्याण समिति अपनी भूमिका का निर्वहन करती है। प्ले स्कूल के बच्चों की सुरक्षा पर अभी कोई गाइड लाइन नहीं है।
मेघा पवार, सदस्य, बाल कल्याण समिति, शहडोल