24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अब पानी के प्राकृतिक स्रोतों को ढूंढेगा प्रशासन और बनेगी स्पेशल टंकी

व्हिसलरी के जमाने में गंदा पानी पीने को मजबूर थे यहां के ग्रामीण

2 min read
Google source verification
Now the natural sources of water will find, and will make special tank

शहडोल- जयसिंहनगर ब्लॉक के अंतिम छोर पर स्थित डोम्हार गांव के ग्रामीणों को अब पानी के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। जिला प्रशासन की मदद से प्राकृतिक स्रोत झिरिया को व्यवस्थित करने का प्रयास किया जा रहा है। स्थानांतरित कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव ने जिला पंचायत सीईओ को निर्देश दिए थे। जिसके बाद अब मैदानी स्तर पर प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। जिला पंचायत सीईओ ने अधिकारियों की टीम भी भेजी थी। जिसके बाद अब प्रशासन ने जलस्त्रोत (झिरिया) में टंकी बनाने का फैसला लिया है।

दरअसल जलस्रोत (झिरिया) में पूरे महीने भूमिगत पानी बाहर निकलता है। गांव के हैंडपंप बिगड़े हुए हैं। पेयजल के समुचित व्यवस्था नहीं है। गांव के कुएं सूख चुके थे और लोगों को पेयजल के लिए मशक्कत करनी पड़ रही थी। ग्रामीण जलस्रोत (झिरिया) से गंदगी के बीच निकलने वाला गंदा पानी पीने के लिए मजबूर थे। पत्रिका ने ग्रामीणों के जलसंकट को लेकर गंभीरता से खबर प्रकाशित की थी, जिसे संज्ञान में लेते हुए स्थानांतरित कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव ने सीईओ को निर्देश दिए थे। प्रशासन की मानें तो अब जिले के अन्य ऐसे जलस्रोत (झिरिया) को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे व्यवस्थित किया जा सके। इसके लिए कर्मचारियों से सर्वे भी कराया जा रहा है।

टंकी बनने से मिलेगा ग्रामीणों को पेयजल
प्रशासन डोम्हार गांव के जलस्रोत (झिरिया) में टंकी बनाने का निर्णय लिया है। इससे जहां एक ओर झिरिया सुरक्षित हो जाएगी तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों को आसानी से पानी भी मिल सकेगा। अभी हर दिन झिरिया से निकलने वाले पानी की वजह से आसपास दलदल की स्थिति बन गई है और गंदगी है। गांव में पेयजल की व्यवस्था न होने के कारण ग्रामीण इसी पानी का उपयोग करते थे। इससे गांव में बीमारियों के फैलने की भी संभावना थी।

पेयजल संकट की जानकारी मिली थी
जिला पंचायत सीईओ चैतन्य एस कृष्ण के मुताबिक डोम्हार गांव में पेयजल संकट की जानकारी मेरे संज्ञान में आई है। मैने अधिकारियों को गांव भी भेजा था। जलस्रोत (झिरिया) को सुरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। हैंडपंप और अन्य संसाधन भी मरम्मत कराए गए हैं। जिससे ग्रामीणों को पेयजल संकट का सामना न करना पड़े।