
शहडोल। शहर से लगी मुडऩ़ा नदी के किनारे प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत देवगवां स्थित नर्सरी अपने जीर्णोधार की बाठ जोह रही है। शांति और सुकून की तलाश में शहर के लोग नर्सरी पहुंचते हैं लेकिन देखरेख के अभाव में नर्सरी बदहाल है। नर्सरी को संवारने में वन अमला आगे नहीं आ रहा है। नर्सरी निर्माण के समय लोहे की कुर्सियां, झूले और अन्य व्यवस्थाएं की गई थीं। लेकिन अब परिसर में लगे लोहे के झूले और कुर्सियां जंग खाकर बदहाल हो गई हैं। घास की जगह बड़ी.बड़ी झाडिय़ों ने ले ली है। हालाकि वन अमला अब इसे स्टाफ के प्रशिक्षण के लिए पार्क तैयार करने की बात कह रहा है। पार्क में ५० हजार नए औषधीय पौधे भी पहुंचाए गए हैं। अभी तक पार्क में नीम, बांस, अशोक, अमरुद, आम, यूके लिप्टिस, बेर सहित सामान्य पेड़ पौधे ही मौजूद थे। उमरिया वन विभाग द्वारा बताया गया कि परिसर में ही बीच के माध्यम से पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
बदलहाल पड़ा है परिसर
- वर्षों पुराने झूले-कुर्सियों में लगी जंग
- देखरेख के अभाव में जंगल बन गई नर्सरी
- खास ने बढऩे से नर्सरी की सुंदरता पर लग रहे दाग
- बांस और बेतरतीव पेड़ों से परेशानियां
- बैठने के लिए जगह नहीं
- वाहन पार्किंग के लिए भी व्यवस्था नहीं
यह हो सकती है पहल
- पार्क पहले से है बस उसे संवारने की जरुरत
- नई कुर्सियां व झूले लगाना
- बड़ी खांस की कटाई कर पार्क का निर्माण
- वाहन पार्किंग की जगह पहल से है, उसे व्यवस्थित करना
- लंबे-लंबे पेड़ों की छटाई करके व्यवस्थित किया जा सकता है।
---नर्सरी को स्टाफ के प्रशिक्षण के लिए तैयार किया जा रहा है। ५० से १ लाख पौधे नर्सरी में ले जाए जा रहे हैं। जहां हर्रा-बहेरा और सागौन के पौधे तैयार किए जाएंगे। नर्सरी की सफाई की जा रही है, हमने एक कमरा भी यहां तैयार कर लिया है।
बासू कनोजिया
डीएफओ उमरिया।
---मैं अभी-अभी शहडोल आया हूं। नर्सरी मैने देखी नहीं है, मैं जल्द ही नर्सरी जाकर वहां की व्यवस्थाएं देखूंगा। जो भी संभव होगा नर्सरी की व्यवस्थाओं के लिए प्रयास किए जाएंगे।
अशोक जोशी
सीसीएफ शहडोल।
Published on:
17 Feb 2018 08:03 am
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