
ऐसा मंदिर , जहां अर्धरात्रि में अपने आप बजने लगती हैं घंटियां और ढोलक
जब स्वर्णमयी हो गईं थीं बेदियां, अद्भुत और अलौकिक है ये मंदिर
शहडोल- ऐसा मंदिर जहां अर्धरात्रि में अपने आप में घंटियां बजने लगती हैं, ढोलक बजने लगते हैं, अद्भुत और अलौकिक है ये मंदिर, और इस मंदिर की कई चमत्कारिक कहानियां भी हैं। ये मंदिर है शहडोल का पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर।
1952 में शहडोल में स्थापित पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर अतिशयकारी है। जहां आज भी अर्धरात्रि में घण्टी व ढोलक बजते हैं। इस मंदिर से जैन समाज की विशेष आस्था जुड़ी हुई है। ऐसा मानना है कि अर्धरात्रि में देवों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। यही वजह है कि रात में इस मंदिर के अंदर कोई भी नहीं रुक पाता है। इतना ही नहीं आप चाहकर भी मंदिर में कोई अनिष्ट कार्य नहीं कर सकते हैं।
मंदिर के संरक्षक कोमल चंद नायक की मानें तो साल 2009 में जयपुर के मिस्त्री यहां से लगभग 20 तोला सोना चोरी कर ले गया था, लेकिन इस घटना के बाद उसका पूरा परिवार अस्त व्यस्त होने लगा। जिसके बाद उसने चोरी किया हुआ सोना वापस कर दिया था।
वर्ष 1982 में आचार्य विद्यासागर महराज सम्मित शिखर में शामिल होने के लिए निकले थे। उस दौरान उनका नगर आगमन हुआ था। उस वक्त वह पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पहुंचे जहां पहुंचने के साथ ही उनके मुख से निकला कि यहां आकर मेरी पूरी थकान मिट गई। प्रभु आप यहां विराजमान हैं, आपको तो स्वर्ण मंदिर में होना चाहिए।
उनके मुखारबिंद से इन शब्दों के निकलने के साथ ही मंदिर परिसर में स्थापित छह बेदियां स्वर्णमयी हो गईं थीं जो आज भी उसी स्थिति में हैं। जैन समाज के लोगों का यह भी कहना है कि यहां एक दीपक जलाने के साथ ही लगभग 100 दीप एक साथ जल उठते हैं। जिसका प्रमाण समाज के कई लोगों ने अपनी आंखो से देखा है। जैन समाज के लोग इसे अद्भुत और अलौकिक मानते हैं।
Published on:
03 Apr 2018 03:36 pm
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