
तकनीकी खामियों व निर्धारित मापदण्ड का नहीं हुआ पालन, बह गई नहर
शहडोल. मोहनी जलाशय से किसानों के खेतों की प्यास बुझाने के लिए बनाई गई नहर तकनीकी खामियों की भेंट चढ़ गई। नहर निर्माण में न तो गुणवत्तायुक्त सामग्री का उपयोग किया गया और न ही तय मापदण्डों का पालन किया गया।विभागीय अधिकारियों की अनदेखी व ठेकेदार की लापरवाही का खामियाजा उन किसानों को भुगतना पड़ रहा है जो कि यह आस लगाए बैठे थे कि बांध से उनके खेतों तक पानी पहुंचेगा और वह खेती कर सकेंगे। बांध भी बन गया नहर भी बन गई लेकिन खेतों तक पानी पहुंचने के पहले ही नहर कहीं दब गई तो कहीं नहर का पूरा हिस्सा ही बह गया। पानी के अभाव में किसानों के सूख रहे खेतों को देखकर ग्राम पंचायत ने चिंता जताई और विभाग को पत्राचार कर मेंटेनेंस की मांग की। पहले तो अधिकारियों ने ठेकेदार से गठजोड़ कर नहर निर्माण में लीपापोती की और अब जब कारनामा उजागर हुआ तो उसमें पर्दा डालने लीपापोती करने का प्रयास कर रहे हैं। नहर का मेंटीनेंस हुआ नहीं और अधिकारी कौआसरई तक पानी पहुंचाने का दावा कर रहे हैं। जबकि ग्रामीणों की माने तो नहर की स्थिति जस की तस है।
कंक्रीट के साथ घटिया सामग्री का उपयोग
जानकारों की माने तो नहर निर्माण में गुणवत्ता के मापदण्डों का समुचित पालन नही किया है। यही वजह है कि नहर क्षतिग्रस्त हो गई। नहर निर्माण में घटिया सामग्री के उपयोग के साथ ही तकनीकी खामियां भी उजागर हुई है। नहर निर्माण में कम से कम 6 इंच मोटा कंक्रीट वर्क होना चाहिए जबकि मौके पर महज डेढ़ से दो इंच कंक्रीट वर्क ही किया गया है। इसके अलावा न तो हाइडेंसिटी वाली पॉलिथिन लगाई गई और न ही ज्यादा चिपकने वाली मिट्टी का ही उपयोग किया गया। इसके अलावा मिट्टी के पटाव के बाद रेत व मिट्टी मिक्स कर कम से कम आधा इंच का पटाव किया जाना चाहिए था वह भी सही तरीके से नहीं किया गया। विभागीय अधिकारियों की मनमानी व ठेकेदारी की इन्ही लापरवाही का खामियाजा अब किसान भुगत रहे हैं।
एक्सपर्ट व्यू: तय मापदण्डों का पालन अनिवार्य
पीडब्लयूडी से सेवानिवृत्त एसडीओ एचबी नागाइच का कहना है कि किसी भी निर्माण कार्य में तय मापदण्डों का पालन अनिवार्य है। तकनीकी खामियों व निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप सामग्री उपयोग न होने की वजह से गुणवत्ताहीन कार्य होते हैंं। नहर निर्माण में कम से कम 6 इंच मोटी कंक्रीट होनी चाहिए। हाईडेंसिटी वाली पॉलिथिन, पटाव के लिए ज्यादा चिपकने वाली मिट्टी का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा पटाव के बाद रेत व मिट्टी मिक्स कर कम से कम आधा इंच मोटाई की परत बिछाने के बाद ही कंक्रीट वर्क की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। कंक्रीट के मसाले में निर्धारित मापदण्ड के अनुसार ही रेत, गिट्टी व सीमेंट का उपयोग होना चाहिए। नहर निर्माण में इन मापदण्डो का समुचित पालन न होने की वजह से नहर कहीं दब गई है तो कहीं बह गई है।
Published on:
03 Jun 2023 11:52 am
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