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कंधों पर शिक्षा का बोझ, यहां नहीं करा पा रहे बाल आयोग के निर्देशों का पालन

निजी स्कूल अभी भी कर रहे नियमों की अनदेखी

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शहडोल. स्कूली बैग के बोझ तले बचपन दबता जा रहा है। खेलने की उम्र में नौनिहाल अपने से ज्यादा वजन के बैग लेकर स्कूल की ओर दौड़ लगा रहे हैं। किताबों का यह बोझ उन्हे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी बीमार बना रहा है। स्कूल संचालक निर्धारित पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त इन पर पुस्तकों का बोझ थोप रहे हैं। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि पढ़ाई के साथ ही स्कूली बैग के बोझ तले नौनिहालों का दम घुट रहा है। इस पर अंकुश लगाने दो वर्ष पहले ही गाइड लाइन तय हो गई थी लेकिन उसका पालन होता कहीं नजर नहीं आ रहा है। जिसका खामियाजा बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को भी भुगतना पड़ रहा है। सरकारी स्कूलों में अब अधिकारी जांच कर रहे हैं लेकिन प्राइवेट स्कूलों में इसकी अनदेखी की जा रही है। निजी स्कूल में टीम भी नहीं पहुंचीहंै।
कमिश्नर व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने भी लिया संज्ञान
स्कूल बैग पॉलिसी को कमिश्नर व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने संज्ञान में लिया है। हाल ही में स्कूल शिक्षा विभाग की बैठक लेकर उन्हे पॉलिसी का पालन कराने के निर्देश दिए थे लेकिन ये सिर्फ सरकारी स्कूलों तक सीमित है। साथ ही यह भी कहा गया था कि यदि कोई स्कूल प्रबंधन पॉलिसी का पालन नहीं करते हैं तो अभिभावक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में इसकी शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं। मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य बृजेश चौहान 3 अगस्त को जिले के प्रवास पर रहेंगे। 3 अगस्त को सुबह 10 बजे शहडोल सर्किट हाउस आएंगे, दोपहर 3 बजे जिला मुख्यालय में शिक्षा के अधिकार बाल अधिकार बाल सुरक्षा एवं मानसिक स्वास्थ्य विषयों पर जागरूकता कार्यशाला का शुभारंभ करेंगे। सायं 5 बजे शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं का निरीक्षण, शाम 6 बजे जिला स्तर के विभागीय अधिकारियों के साथ कोरोना महामारी के बाद बच्चों की स्थिति के संबंध में बैठक लेंगे। मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य बृजेश चौहान 4 अगस्त को उमरिया के लिए प्रस्थान करेंगे।
स्कूल बैग पॉलिसी बेअसर
दिसम्बर 2020 में केन्द्रीय शिक्षा विभाग ने स्कूल बैग पॉलिसी जारी की थी। जिसमें शैक्षणिक संस्थानों में छात्र-छात्राओं की कक्षाओं के अनुरूप बैग के वजन के साथ ही होमवर्क व क्लास वर्क के लिए भी मापदण्ड निर्धारित किया गया था। इसे प्रभावी रूप से लागू किया जाना था। अब तक इस स्कूल बैग पॉलिसी का पालन होता नजर नहीं आ रहा है। सबसे ज्यादा निजी शैक्षणिक संस्थान स्कूल बैग पॉलिसी को नजर अंदाज कर रहे हैं। जिसका उल्लेख स्कूल बैग पॉलिसी को लेकर जारी आदेश में भी किया है।
कॉपी और किताबों से भी बढ़ा वजन
बच्चों पर स्कूल की तैयारी भारी पड़ रही है। आलम यह है कि स्कूल संचालक निर्धारित पुस्तकों से ज्यादा पुस्तकें चला रहे। लगभग सभी पुस्तक और कॉपी के साथ ड्राइंग, टिफिन, पानी की बॉटल आदी का वजन हो जाने से बच्चों के कंधे झुकते जा रहे हैं। इसका असर उनकी पीठ पर हो रहा है और तकलीफ बढ रही है। यही स्थिति रही तो आगे चलकर बच्चों को कई परेशानियां उठानी पड़ सकती है।
इनका कहना है
सभी शैक्षणिक संस्थानों को आदेश जारी किए गए हैं कि वह स्कूल बैग पॉलिसी 2020 का कड़ाई से पालन करें। कक्षा के अनुसार बैग के वजन का भी निर्धारण किया गया है। जिसके पालन के लिए भी निर्देशित किया गया है।
पीएस मरपाची, डीइओ शहडोल।
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शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों के स्कूल बैग के वजन को कम करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं। सभी संकुल प्राचार्यों को आदेश जारी किए गए हैं कि वह इसका कड़ाई से पालन कराएं।
आनंद राय सिन्हा, सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग शहडोल