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पिछले वर्ष की शिकायत पर अब तक नहीं हुआ सुधार, बरसात में फिर टपकेगें सरकारी आवास

व्हीआईपी आवासों तक सुधार कार्य सीमित

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 The last year's complaint has not yet been improved, the Government House

पिछले वर्ष की शिकायत पर अब तक नहीं हुआ सुधार, बरसात में फिर टपकेगें सरकारी आवास

शहडोल। सरकारी कर्मचारियों के लिए बने आवासों की समय-समय पर मराम्मत न होने से जर्जर होते जा रहे है। कुछ कर्मचारियों की आवास की हालत जर्जर और बरसात में टपकने की शिकायत वर्षो से पेंडिंग है। इसके बाद भी अधिकांश आवासो का सुधार कार्य नहीं कराया जा रहा है। ऐसेे कर्मचारियों के लिए एक सप्तांह बाद शुरू होने वाली बरसात फिर आफत बनकर आएंगी। ये आवास बरसात में बूंदा-बांदी में भी टपकते है। जिससे इन आवासो में रहने वाले कर्मचारियों को बरसात के महीनो में रात बिताना मुश्किल हो रहा है। इसके बाद भी सरकारी आवासों के सुधार कार्य के प्रति लोक निर्माण विभाग उदासीन बना हुआ है।
संभागीय मुख्यालय में बने अधिकांश सरकारी आवास बरसात में काली पन्नी में लिपटे नजर आते है। जिसकी वजह से पुराने लकड़ी के गाटर वाले आवासो के टपकने से उनकी हालत अधिक नाजुक हो गई है। इसके बाद भी कर्मचारी रह रहे है। जिनकी केयर लोक निर्माण विभाग नहीं कर रहा है। बताया गया है कि आवासो के सुधार कार्य में भी लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों द्वारा भेद भाव किया जाता है। सोहागपुर तहसील के सामने बने अधिकांश आवास जर्जर है। लेकिन जिन आवासो में व्हीआईपी रह रहे है उनका तो सुधार कार्य कराया जा रहा है। लेकिन वही पर जी ५ के मराम्मत कार्य के लिए शिकायत एक वर्ष से पंडिंग है। जिसके लिए कर्मचारी लोक निर्माण के दफ्तर का बार-बार चक्कर लगा रहें है। लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
इसी तरह से छोटे कर्मचारियों के रहने वाले पाण्डव नगर में बने आवासो की हालत भी दयनीय है। यहां भी अधिकांश आवास बरसात के महीनो में टपक रहे है।यहां रहने वाले कर्मचारी बरसात में काली डामर वाली पन्नी लगाकर गुजारा कर रहे है। डाइट परिसर में बने आवास भी बरसात में टपक रहे है। यहां भी छतों में काली पन्नी चढंी हुई है।यहां बने आवासों में काली पन्नी लगाने का सिलसिला हर वर्ष चलता रहता है। ठंड्डी और गर्मी में पन्नी अपने आप निकल जाती है। जिसे बरसात में दुबारा लगानी पड़ती है। टेक्रिकल स्कूल के पीछे बने आवासो में भी रह रहे कर्मचारियों का भी रोना बना हुआ है। आवासो की मराम्मत के लिए कर्मचारियो की फरियाद भी नहीं सुनी जाती। जिसके चलते कुछ कर्मचारी अपने खर्च से ही बरसात से बचने सुधार कार्य करते रहते है।