
TSF and dog squads to get clues in villages
शहडोल- घुनघुटी रेंज अंतर्गत धोरई बीट के घघडार जंगल में बाघ के शिकार मामले में टीएसएफ और डॉग स्क्वॉड टीम को कई अहम सुराग मिले हैं। घघडार जंगल से सटे गांवों में शिकार से जुड़े कई सुराग टीएसएफ और डॉग स्क्वॉड को मिले हैं। इसी आधार पर टीम कई संदेहियों से पूछताछ कर रही है। हालांकि अब तक आला अधिकारियों ने कोई पुष्टि नहीं की है। वन विभाग के अधिकारी भी अब बाघ का करंट से शिकार होने पर पूरी तरह आशंका जता रहे हैं। उधर अधिकारी पीएम रिपोर्ट का इंतजार रहे हैं। अधिकारियों की मानें तो पीएम रिपोर्ट आने के स्पष्ट हो पाएगा कि बाघ का शिकार किन तरीकों से किया गया है।
टीएसएफ और डॉग स्क्वॉड टीम की पड़ताल के बाद अब पूरी तरह संदेह की सुई आसपास के गांवों में घूम रही है। जल्द ही वन विभाग की टीम को शिकार से जुड़े कई सुराग मिल सकते हैं। गौरतलब है कि घुनघुटी रेंज अंतर्गत रविवार की शाम को बांधवगढ़ के बाघ का शिकार किया गया था। वारदात में अब तक टीम शिकारियों तक नहीं पहुंच सकी है।
सुराग मिलते ही गांवों में पहुंचा डॉग
अधिकारिक सूत्रों की मानें तो डॉग बाघ के शव के आसपास सर्चिंग के बाद सुराग मिलते ही सीधे जंगल से सटे गांवों में पहुंच गया। डॉग के बताए रूट पर अधिकारियों ने पड़ताल की। इसके बाद बाघ जंगल के नजदीक एक गांव में पहुंच गया। यहां पर कुछ साक्ष्य मिले हैं। हालांकि विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की है। टीएसएफ व डॉग स्क्वॉड की टीम की पड़ताल के आधार पर अधिकारी इन जगहों से सुराग जुटा रहे हैं।
बीट में मॉनीटरिंग की खुली पोल
शिकारियों ने घुनघुटी क्षेत्र में शिकार की वारदात को अंजाम देकर वन विभाग के मॉनीटरिंग की पोल खोल दी है। बांधवगढ़ जुड़ा होने के कारण कागजों में वन विभाग के तमाम प्रयास इन क्षेत्रों के लिए होते हैं लेकिन मैदानी हकीकत एकदम अलग है। शनिवार की शाम को बाघ के शव को देखा गया था। इससे साफ है कि शिकार दोपहर और शाम को किया गया है, लेकिन विभाग को इसकी भनक भी नहीं लगी।
पीएम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं
डीएफओ वासु कनौजिया के मुताबिक बाघ के शिकार मामले में पीएम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा कि किस तरह से शिकार किया गया है। हमने कुछ संदेहियों से पूछताछ की है। जल्द ही मामले में सुराग टीम के हाथ लगेंगे।
मॉनीटरिंग पूरी तरह फेल है
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे के मुताबिक बाघों की सुरक्षा को लेकर मॉनीटरिंग पूरी तरह फेल है। आला अधिकारी गंभीर नहीं है। इसी के चलते लगातार बाघों की मौत हो रही है। मैदानी स्तर पर मॉनीटरिंग ही नहीं हो रही है। शिकारी अपना नेटवर्क मजबूत कर रहे हैं और अफसरों को भनक ही नहीं है। हाल ही में हुई एक बाघ के मौत के कारणों की पुष्टि विभाग नहीं कर सका है और एक बाघ की मौत ने विभाग की कलई खोल दी है।
Published on:
06 Dec 2017 11:40 am
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