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नियमों की आड़ में स्थानीय खिलाडिय़ों का हक मार रहा एसडीसीए

डिवीजन की टीम में खेल रहे बाहरी खिलाड़ी, टीम में पदाधिकारी का बेटा भी शामिल

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Under the rules, local players are entitled to the rights of SDCA

पदाधिकारियों की मनमानी से कोयलांचल के युवाओं को नहीं मिल रहा क्रिकेट में एक्सपोजर...

शहडोल- शहडोल डिवीजनल क्रिकेट एसोसिएशन (एसडीसीए) के पदाधिकारियों की मनमानी के चलते कोयलांचल के युवाओं का हक मारा जा रहा है। यहां की डिवीजनल टीम में बाहरी खिलाडिय़ों को खिलाया जा रहा है। जबकि इस क्षेत्र में प्रतिभावान खिलाडिय़ों की कमी नहीं है। यदि उन्हें मौका मिले तो वे भी क्रिकेट में अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं।

एसडीसीए के पदाधिकारियों ने नियमों की आड़ लेकर शहडोल डिवीजन की टीम में भोपाल और दिल्ली के खिलाडिय़ों को शामिल किया हुआ है। शहडोल की टीम में पदाधिकारी का बेटा भी शामिल है। शहडोल में अंतर संभागीय एमवाई मेमोरियल टूर्नामेंट के तहत ग्वालियर और शहडोल के बीच मैच चल रहा है। चार दिवसीय इस मैच का आयोजन चोरी-छिपे किया जा रहा है। इतने बड़े मैच की मेजबानी शहडोल कर रहा है लेकिन इसकी जानकारी न तो स्थानीय खिलाडिय़ों को है और न ही मीडिया को।

इन मैचों में प्रदर्शन के आधार पर ही मध्यप्रदेश की रणजी टीम में खिलाडिय़ों का चयन किया जाना है। मैच के दौरान खिलाडिय़ों के प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए एमपीसीए के ऑब्जर्वर अभय पुरंदरे भी शहडोल पहुंचे हुए हैं।

टीम सिलेक्शन में पारदर्शिता पर सवाल
टीम सिलेक्शन में भी पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। टीम का सिलेक्शन कब कर लिया जाता है, इसके लिए कब ट्रायल होता है इसकी किसी को जानकारी नहीं दी जाती। यहां तक कि टीम सिलेक्शन कब होगा, कैसे होगा मीडिया तक को अंधेरे में रखा जाता है। एसोसिएशन की गतिविधियों से नजीदीकी से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि सिलेक्शन में पदाधिकारियों की पूरी मनमानी चलती है। इसमें न तो किसी को सूचना दी जाती है और ट्रायल में भी महज खानापूर्ति की जाती है। एसडीसीए की मनमर्जी के जलते अनूपपुर, उमरिया और शहडोल जिले के खिलाडिय़ों के साथ अन्याय हो रहा है।

तीन खिलाडिय़ों को शामिल करने का नियम है : खरे
शहडोल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील खरे का कहना है कि हां बाहरी खिलाड़ी खेल रहे हैं। बीसीसीआई के नियमों के अनुसार यदि टीम कमजोर है तो टीम में तीन बाहरी खिलाडिय़ों को खिलाया सकता है, उसी के तहत हमने बाहरी खिलाडिय़ों को शामिल किया है। एसडीसीए के सचिव अजय द्विवेदी का कहना है कि नियम के तहत हम बाहरी खिलाड़ी शामिल कर सकते हैं। सवाल ये है कि बीसीसीआई करोड़ों रुपए का फंड हर साल शहडोल अंचल में खिलाड़ी तैयार करने के लिए खर्च कर रही है। इसके बाद भी यहां से यदि एक अच्छी टीम नहीं तैयार हो पा रही है तो वह फंड कहां खर्च किया जा रहा है।

बाहरी खिलाडिय़ों को शामिल करने का पैमाना क्या है ?
शहडोल की टीम में तीन खिलाड़ी बाहरी खेल रहे हैं। इन खिलाडिय़ों को शामिल करने का पैमाना क्या है। क्या ये खिलाड़ी टीम की जीत की गारंटी हैं और यदि टीम जीत भी जाए तो उस जीत का शहडोल अंचल को फायदा क्या है। इस तरह की मनमानी से तो यहां के युवाओं का हक मारा जा रहा है।