
मीलों पैदल चले, तमाम मुसीबतें झेली, अब गांव वाले बना रहे दूरी
शहडोल. कोरोना संक्रमण काल में कोसों पैदल चलने और तमाम मुसीबतें झेलने के बाद आदिवासी अंचल के जो श्रमिक अपने गांव पहुंचे हैं, वहां उनके साथ ग्रामीणजनों द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। यह कहानी गोहपारू जनपद अंतर्गत ग्राम गोड़ारू की है। जहां मुम्बई, हरिद्वार और चेन्नई से अब तक करीब एक सैकड़ा मजदूर अपने गांव पहुंच चुके हैं। ग्रामवासियों में इसकी आशंका है कि उनके गांव में पहुंचने वाले श्रमिक कहीं कोरोना से संक्रमित न हो। उनकी इस शंका का प्रशासनिक स्तर पर कहीं कोई समाधान भी नहीं किया जा रहा है। नतीजतन ग्रामवासियों द्वारा गांव मेें बाहर से आने वाले श्रमिकों के साथ सौतेला व्यवहार शुरू कर दिया है। बाहर से आने वाले श्रमिकों से ग्रामीण जनों ने काफी दूरियां बना ली है। सार्वजनिक हैण्डपंपों पर उनका निस्तार प्रतिबंधित कर दिया है। नतीजतन निस्तार के लिए वह गांव के नजदीक नदी की ओर जाते हैं। भोजन आदि देने में भी अभी हाल ही में गुरूवार को रात 11 बजे चेन्नई से 16 श्रमिक अपने गांव गोड़ारू पहुंचे है। जिन्हे गोहपारू के स्वास्थ्य केन्द्र में जांच के बाद सीधे घर जाने की अनुमति दे दी गई है। जिस पर ग्रामीणों ने आपत्ति जताते हुए बाहर से आए श्रमिकों को किसी शासकीय भवन में क्वांरटीन करने की बात कही। जिस जिम्मेदारों का यही कहना है कि बाहर से आने वाले श्रमिकों में कोरोना के कोई लक्षण नहीं मिले हैं। इसके बाद भी उन्हे होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई है।
छोटे से घर में कैसे रहे आइसोलेट
पिछले 24 मई को हरिद्वार से आए श्रमिक राजकुमार सिंह ने बताया कि उसके घर में माता-पिता के अलावा एक भाई भी रहता है। साथ ही घर के मवेशियों की भी रहायशी है। एसी दशा में उसे होम आइसोलेट रहने में काफी दिक्कतें आ रही है। घर में रहने से वह अपने परिवार के सदस्यों व ग्रामीणों के सम्पर्क में आ जाता है। ऐसी दशा में उसे गांव के किसी सरकारी भवन में क्वांरटीन करना चाहिए।
क्वांरटीन करने का हमें आदेश नहीं
एक मई से गांव में बाहर से आने वाले श्रमिकों को क्वारंटीन करने का हमें प्रशासन से कोई आदेश नहीं है। इसलिए उन्हे अपने ही घर में होम आइसोलेट रहने का सुझाव देकर उनके घर भेजा जा रहा है।
देवकली सिंह, सचिव, ग्राम पंचायत गोड़ारू
Published on:
30 May 2020 09:04 pm
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