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Ayodhya Verdict : राम मंदिर आंदोलन से जुड़े स्वामी चिन्मयानंद की जेल में ही मनी खुशियां

राम मंदिर आंदोलन के दौरान ही स्वामी चिन्मयानंद 1991 में पहली बार बदायूं से सांसद चुने गए थे।

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शाहजहांपुर। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े स्वामी चिन्मयानंद राम मंदिर पर आए फैसले के समय अपनों के बीच मौजूद नहीं रहें। अयोध्या फैसले की उनकी खुशियां जेल में ही घुट कर रह गईं। छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद स्वामी चिन्मयानन्द ने जेल में दिन भर टीवी के सामने बैठ कर राम मंदिर प्रकरण पर चर्चा सुनते रहें। राम मंदिर आंदोलन के दौरान ही स्वामी चिन्मयानंद 1991 में पहली बार बदायूं से सांसद चुने गए थे।

आन्दोलन के दौरान मिली थी बड़ी जिम्मेदारी
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 से पहले स्वामी चिन्मयानन्द श्रीराम जन्म भूमि मुक्ति आंदोलन के संयोजक बनाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने और एक छात्रा द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों के बाद स्वामी चिन्मयानन्द ने खुद को राजनीति से दूर कर लिया था लेकिन प्रदेश में योगी सरकार आने पर उन्हें सियासी वनवास से उबारने की कोशिश हुई तो एक बार फिर उन उनके कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा ने दुष्कर्म का आरोप लगा दिया। इस मामले में वो जेल में बंद है।

मंदिर आंदोलन के दौरान बने सांसद
स्वामी चिन्मयानंद राम मंदिर आंदोलन के दौरान ही पहली बार सांसद चुने गए थे। 1991 में वो बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। इसके बाद स्वामी चिन्मयानन्द 1998 में मछली शहर और 1999 में जौनपुर सीट से सांसद चुने गए। अटल सरकार में स्वामी चिन्मयानंद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री भी बने।