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अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही चीलर नदी

गंदे नाले मिलने से खत्म होता जा रहा नदी का अस्तित्व, शहर की जीवनदायिनी गंदे नाले के रूप में हो गई परिवर्तित

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Chilar river is shedding tears on its plight

शाजापुर। चीलर नदी की वर्तमान में है यह हालत

शाजापुर.

करीब 3 दशक पहले शहर की जीवन रेखा चीलर नदी का अब स्वरूप किसी गंदे नाले की तरह नजर आने लगा है। यहां पर शहरभर से निकलने वाली गंदगी छोटे बड़े नालों में बहकर नदी में मिल रही है। इससे पूरी नदी में गंदगी, कीचड़ और गाद जमा हो गई है। गहरी और रेतीली नदी का स्वरूप पूरी तरह से बदल चुका है। हालांकि इसकी सफाई के लिए लंबे समय से प्रयास होते आए हैं, लेकिन अभी तक एक भी प्रयास चीलर को उसका पुराना स्वरूप प्रदान नहीं कर पाया है।

शहर के भावसार मोहल्ला निवासी सेवानिवृत्त शासकीय शिक्षक मांगीलाल भावसार ने बताया कि करीब 3 दशक पहले शहर के बीच से निकली चीलर नदी बहती हुई थी। रेतीली नदी में पानी इतना साफ था कि नदी की तलहटी बाहर से ही दिखाई देती थी। शहर के अधिकांश लोग इस नदी पर ही नहाने एवं कपड़े धोने के लिए पहुंचते थे। नदी पर प्राचीन घाट बने हुए थे। इसमें से कुछेक घाट महिलाओं के लिए थे। शेष घाट पर पुरुष स्नान के लिए जाते थे। वहीं नदी में से ही लोग पीने का भी पानी भरकर लाते थे। बच्चों से लेकर बड़े तक इसी नदी में तैरते और अटखेलियां करते रहते थे। भावसार ने बताया कि वो छोटे से थे तब अपने पिता के साथ नदी पर जाकर नहाते और तैरना सीखते थे। नदी के किनारे स्थित अनेक पेड़ पर नदी में गोता लगाने के लिए ठिये बनाएं हुए थे। इन ठियो से वे नदी में गोता लगाते थे। उन्होंने बताया कि उनके समक्षक लोग नदी में नहाते हुए तैरने की भी प्रतियोगिता करते थे।

धीरे-धीरे बदहाल हो गई नदी
भावसार ने बताया कि तीन दशक पहले जीवनरेखा के रूप में देखी जाने वाली चीलर नदी धीरे-धीरे बदहाल हो गई। आधुनिकता के दौर में लोगों ने नदी पर जाना बंद कर दिया। इसके चलते इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। धीरे-धीरे नदी में काई जमा होने लगी थी। इसके बाद भी वे काई को हटाकर नदी में तैरते रहते थे। हालांकि जब गंदगी हद से ज्यादा बढ़ तो उन्हें भी नदी में तैरना बंद करना पड़ा।

शहर के 16 छोटे-बड़े नालों से गंदगी मिल रही चीलर नदी में
उल्लेखनीय है कि चीलर नदी में शहर भर से 16 छोटे और बड़े नालों से बहकर 24 घंटे गंदगी पहुंच रही है। इससे नदी में गंदगी का अंबार लगा गया और इसका पुराना स्वरूप गंदगी और काई में दब गया। चीलर नदी की बदहाली को लेकर जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन और अधिकारी तक चिंता जता चुके है। इसकी पूरी तरह सफाई के लिए अब तक दर्जनों बार अभियान चलाए गए, लेकिन एक भी अभियान पूर्ण नहीं हो पाया। जिससे नदी की हालत अभी भी नाले की तरह ही है। गंदगी, बदबू के कारण नदी की पुलियाओं से निकलने में भी परेशानी होती है।

अतिक्रमण भी बढ़ रहा नदी में
शहर में चीलर नदी के किनारे अतिक्रमणकर्ताओं द्वारा अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है। राजराजेश्वरी माता मंदिर के पीछे से लेकर बादशाही पुल तक नदी के दोनों ओर अनेक निर्माण हो चुके है। इसमें से कई लोगों ने नदी की भूमि पर भी अतिक्रमण कर लिया है, लेकिन कार्रवाई नहीं होने के कारण ये अतिक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है। यदि समय रहते अतिक्रमणकारियों को नहीं रोका गया तो नदी का स्वरूप और ज्यादा बिगड़ जाएगा।

आओ हम मिलकर करें नदी को साफ
चीलर नदी के बदतर हो चुके हालातों को देखते हुए अब जिला प्रशासन द्वारा नगर पालिका, जनअभियान परिषद और ‘पत्रिका’ के माध्यम से चीलर नदी को साफ करने का अभियान शुरू करने जा रहा है। 7 दिन तक चलने वाले इस अभियान में शहर के धार्मिक, सामजिक संगठनों सहित विभिन्न समाजजनों को भी जोड़ा जाएगा। जनअभियान परिषद के विष्णु नागर ने बताया कि 1 जून से चीलर नदी के भीमघाट से नदी की सफाई का अभियान शुरू किया जाएगा। प्रतिदिन प्रात: 7 से 9 बजे तक सफाई अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान में अधिकारी, कर्मचारियों सहित धार्मिक, सामाजिक संगठन भी शामिल होंगे। पत्रिका द्वारा भी ‘अमृतम जलम अभियान’ के तहत विभिन्न स्थानों पर जलस्रोतों के सफाई कार्य में अपनी महति भूमिका निभाई जाती है। इसी तरह पत्रिका द्वारा अमृतम जलम अभियान के तहत सभी लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में चीलर नदी के इस सफाई अभियान के पुनित कार्य में सहयोग के लिए आग्रह किया जा रहा है।
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