
धरती को हरियाली से संवारने के लिए शिक्षक बीज से बना रहे पेड़
शाजापुर.
आम तौर पर लोग फलों को खाकर उसके अवशेष फेंक देते हैं। बाजार में आसानी से फल उपलब्ध होने से कोई पौध-रोपण और फलों के पड़े पर ध्यान नहीं देता है। लेकिन शहर के एक शिक्षक ने पर्यावरण को संवारने का बीड़ा उठाया है। शिक्षक फलों को खाने के बाद उनकी गुठलियां और बीज निकाल लेते हैं और उनको पौधे बनाकर जगह-जगह पौध रोपण करते हैं। साथ ही अन्य लोगों को भी फलों से निकलने वाले बीज रखकर पेड़ बनाने की सलाह देते हैं।
शहर के महारानी लक्ष्बाई कन्या उमावि में शिक्षक संजयकुमार सोनी पिछले १२ सालों से फलों से बीज निकालते हैं और उनको रोंपकर कर पौधे बनाते हैं। ये पौधे जब पनप जाते हैं तो उन्हें सुरक्षित स्थानों पर जाकर उनका रोपण कर देते है। साथ ही बारिश में पौधेरोपण कार्यक्रम और अपने परिचितों को भी पौधरोपण के लिए पौधे देते हैं। शिक्षक संजयकुमार सोनी के बताया कि वतर्मान में जो फल बाजार में मिल रहे हैं उनमें न तो वास्तविक स्वाद आता है और न ही वो आनंद जो पहले आता था। इस बारे में जब उन्होंने पता लगाया तो उसमें प्रमुख कारण फलों को पकाने के लिए हो रहे केमिकल का उपयोग सामने आया, जो समय से पहले फलों को पका तो देता है, लेकिन ऐसे फलों का सेवन करना सेहत के साथ खिलवाड़ करना है। इसे देखते हुए उन्होंने फलों के बीजों को एकत्रित कर उन्हें रोपना शुरू किया। आज स्थिति ये है कि इनकी छतों पर विभिन्न प्रजातियों के पौधे पककर तैयार हैं। इन पौधों को संजय कुमार सोनी सहेजकर रखते हैं और प्रतिदिन इनकी देखभाल भी करते हैं और जब ये पौधे अच्छी तरह से तैयार हो जाते हैं तो उन्हें पर्यावरण के लिए उचित स्थान पर रोप देते हैं और प्रतिदिन इनकी देखभाल भी करते हैं।
बीजों से पेड़ बनाना लक्ष्य
सोनी ने बताया कि केवल पौधे उगाना ही इनका लक्ष्य नहीं है, बल्कि इनकी उचित देखभाल कर इन्हें पेड़ बनाना इनकी प्रमुख प्राथमिकता है। इस काम को इन्होंने अकेले ही शुरू किया था, लेकिन जब लोगों ने इनका पर्यावरण प्रेम देखा तो अन्य लोग भी इनसे प्रेरित हुए और साथी शिक्षकों के साथ अन्य लोग भी उनसे पौधे ले जाकर सुरक्षित स्थान पर रौंपते हैं। उन्होंने अन्य लोगों को भी अपने द्वारा तैयार पौधे वितरित करना शुरू किए जो अच्छी देखभाल के कारण लहलहा रहे हैं। सोनी ने अपने इस अनूठे अभियान की शुरूआत वर्ष 2006 से की थी और अब तक वे सैकड़ों पौधों का वितरण भी कर चुके है। वहीं इनकी छत पर भी विभिन्न प्रजातियों के पौधे लहलहा रहे हैं। पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के इच्छुक लोगों को वे इन पौधों का वितरण करते हैं।
यहां लहलहा रहे पौधे
सोनी के मुताबिक अब तक फलों के बीज से वे एक हजार से ज्यादा पौधे उगा चुके हैं। वहीं कुछ पौधे तो पेड़ बनने की स्थिति में भी आ चुके हैं। सोनी द्वारा तैयार किए गए पौधे शाजापुर सहित आसपास के जिलों में भी लगाए जाते हैं। देवास डीएड कॉलेज में उनके द्वारा लगाए गए पौधे लहलहा रहे हैं। शाजापुर में गिरासिया, नित्यानंद आश्रम, मुरादपुरा हनुमानमंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थान और शिक्षक संस्थानों में सोनी द्वारा तैयार किए पौधे पेड़ बनने की स्थिति में हैं।
Published on:
04 Jun 2018 08:30 pm
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