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Pulwama Attack: भरे मन से शहीद के पिता ने कहा- बेटे की शहादत पर गर्व, लेकिन मोदी सरकार को इस तरह लेना होगा बदला

locationशामलीPublished: Feb 15, 2019 05:26:58 pm

Submitted by:

lokesh verma

प्रदीप के पिता जगदीश का कहना है कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुुआ है, लेकिन अब वे चाहते हैं कि मोदी सरकार शहादत का ऐसा बदला ले कि आतंकियों और उनके शरणदाता पाकिस्तान की सात पीढ़ी भी याद रखें।

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Pulwama attack: भरे मन से शहीद के पिता ने कहा- बेटे की शहादत पर गर्व, लेकिन मोदी सरकार को इस तरह लेना होगा बदला

शामली. पुलवामा में हुए आतंकी हमले (Pulwama Terrorist Attack) में शामली का लाल प्रदीप भी शहीद हो गया है। बता दें कि सीआरपीएफ का जवान प्रदीप कुमार दो दिन पहले ही घर में छुट्टी बिताकर जम्मू-कश्मीर ड्यूटी पर लौटा था। प्रदीप शामली जिले के कस्बा बनत निवासी जगदीश प्रसाद का बेटा था। गुरुवार की रात जैसे ही पिता जगदीश प्रसाद के पास उनके बेटे के शहीद होने की खबर आई तो परिवार में चीख-पुकार मच गई। बता दें कि प्रदीप के परिवार में पत्नी कामिनी के अलावा दो बेटे सिद्धार्थ और दुष्यंत हैं। परिजनों ने बताया कि प्रदीप के चचेरे भाई की शादी में शरीक होने के लिए 8 फरवरी को छुट्टी पर आया था और 12 फरवरी को वापस जम्मू-कश्मीर गया था। परिजनों ने बताया कि आतंकी हमले से करीब चार घंटे पहले ही प्रदीप से फोन पर बात हुई थी। उसने कहा था कि वह ड्यूटी पर पहुंच गया है। इसके बाद परिजन भी निश्चिंत हो गए थे, लेकिन जैसे ही आतंकी हमले में प्रदीप के शहीद होने की खबर आर्इ तो उनके पैरों तले जैसे जमीन ही न रही। प्रदीप के पिता जगदीश का कहना है कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुुआ है, लेकिन अब वे चाहते हैं कि मोदी सरकार शहादत का ऐसा बदला ले कि आतंकियों और उनके शरणदाता पाकिस्तान की सात पीढ़ी भी याद रखें। तभी इस हमले के शहीद जवानों की चिता ठंडी होगी।
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परिजनों ने बताया कि प्रदीप कुमार 2003 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। वर्तमान में प्रदीप की पोस्टिंग श्रीनगर में थी। वहीं उसका परिवार गाजियाबाद में रहता है, जिसमें पत्नी कामिनी और दो बेटे सिद्धार्थ और दुष्यंत हैं। इसके अलावा अन्य परिजन गांव में ही रहते हैं। परिजनों ने बताया कि 8 फरवरी को ही प्रदीप अपने चचेरे भाई की शादी के लिए छुट्टी लेकर घर आया था। शादी में सभी लोग बहुत खुश थे। इसके बाद 12 फरवरी को ही प्रदीप वापस ड्यूटी पर लौटा था। चचेरे भाई उमेश ने बताया कि गुरुवार को सुबह 11 बजे ही प्रदीप का फोन आया था। फोन पर प्रदीप ने कहा था कि वह अपनी ड्यूटी पर पहुंच गया है। इसके बाद सभी परिजन निश्चिंत हो गए थे, लेकिन शाम को जैसे ही उन्हें आतंकी हमले की खबर मिली तो वे परेशान हो गए। यह देख उन्होंने प्रदीप को फोन किया तो फोन नहीं लग पाया। परिजन प्रदीप से संपर्क करने का प्रयास कर ही रहे थे। इसी बीच रात करीब सवा 9 बजे सीआरपीएफ बटालियन से अधिकारी का फोन आया कि प्रदीप आतंकी हमले में शहीद हो गए हैं। यह सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया। प्रदीप के शहीद होने की खबर आते ही प्रदीप के घर लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। शुक्रवार को प्रदीप के घर लोगों की भीड़ जमा हो गई। प्रदीप का पार्थिव शरीर शुक्रवार रात या शनिवार तड़के तक ही आने की संभावना जताई जा रही है।
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बहादुर बेटे पर गर्व
प्रदीप की शहादत के बाद पिता जगदीश का कहना है कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुुआ है, लेकिन अब वे चाहते हैं कि सरकार उसकी शाहदत का ऐसा बदला ले कि आतंकियों और पाकिस्तान की सात पुश्तें भी याद रखें। भरे मन से पिता जगदीश ने कहा कि उनका बेटा बहुत ही बहादुर था। उन्हें बेटे के खोने का गम तो है, लेकिन इस बात की तसल्ली है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है।
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