गांवों मेें विकसित किए जा रहे चारागाहों में हाईब्रिड प्रजाति की घास लगाई जाएगी, जो चेन्नई से मंगाई जा रही है। इनमें नैपियर, दीनानाथ, गिनी, हेमेटास्टाइलो, चरी, हरा सोना आदि प्रजातियों की घास शामिल है। बताया गया है कि एक बार लगाने के बाद ये घास कई वर्षों तक चारा देती रहती है। साथ ही पशुओं को ये घास खिलाने के बाद अन्य पशु आहारों की आवश्यकता भी नहीं रहती है, क्योंकि ये घास काफी पौष्टिक होती है।