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मोदी ने जिन चीतों को कूनो में छोड़ा, उनकी जान को खतरा, जीव वैज्ञानिक जता रहे ये चिंता

आपको बता दें कि नामीबिया से लाए गए इन चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्म दिवस 17 सितंबर को कूनो में बनाए गए बाड़े में छोड़ा था। क्वेरेन्टाइन का समय पूरा हो चुका है। इसके बावजूद इन्हें कूना अभयारण्य के जंगलों में नहीं छोड़ा गया है। अब दुनिया भर के जीव वैज्ञानिक इन्हें लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं।

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श्योपुर। कूनो नेशनल पार्क लाए गए 8 नामीबियाई चीते अब तक बाड़े में ही कैद हैं। जिसे लेकर दुनिया भर के जीव वैज्ञानिक उन्हें लेकर चिंता जताने लगे हैं। आपको बता दें कि नामीबिया से लाए गए इन चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्म दिवस 17 सितंबर को कूनो में बनाए गए बाड़े में छोड़ा था। क्वेरेन्टाइन का समय पूरा हो चुका है। इसके बावजूद इन्हें कूना अभयारण्य के जंगलों में नहीं छोड़ा गया है। अब दुनिया भर के जीव वैज्ञानिक इन्हें लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं।

तीन चीते बड़े बाड़े में हो सकते हैं शिफ्ट
हालांकि आज इन आठ चीतों में से 3 चीतों को इस बाड़े से दूसरे बड़े बाड़े में शिफ्ट करने की तैयारी की चर्चा है। इस बारे में जिम्मेदारों का कहना है कि योजना के मुताबिक प्रोजेक्अ कुछ सुस्त हो चला है। इसका कारण यहां एक खूंखार तेंदुए को बताया जा रहा है। जो चीतों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में इन्हें तेंदुए का पकडऩे की कोशशें जारी हैं।

60 हेक्टेरयर का है बाड़ा
आज 3 चीतों को छोटे बाड़े से बड़े बाड़े में शिफ्ट किया जाना है। यह बाड़ा 60 हेक्टेयर क्षेत्र में बना है। वहीं पांच अन्य चीतों को भी चरणबद्ध तरीके से बाद में इसी बाड़े में छोड़ा जाएगा। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस चौहान अपनी टीम के साथ कूनो पहुंच गए हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि चीतों को मध्यप्रदेश में हिरण और सांभर का शिकार करना आसान होगा। इनके पहले शिकार से ही इनके आगे की जीवित रहने की संभावनाओं को मजबूती मिलेगी।

करीब 3 महीने से कैद में चीते
कूनो आने से पहले नामीबिया में भी इन चीतों को करीब महीने भर तक इसी तरह से बंद रखा गया था। इस दौरान चीतों के तमाम टेस्ट भी किए गए थे। इस हिसाब से चीते पिछले करीब 3 महीने से स्वतंत्र रूप से रह ही नहीं पाए। ऐसे मे ंउनकी शिकार की आदत भी नहीं बन पा रही।उन्हें भैंस का मांस परोसा जा रहा है।

शीर्ष जीव वैज्ञानिक ने जाहिर की चिंता
वहीं एक शीर्ष जीव वैज्ञानिक ने पिछले दिनों इनकी जान को खतरा बताते हुए अपने डर को जाहिर किया था। उनका कहना है कि दुनिया में सबसे ज्यादा तेज रफ्तार से दौडऩे वाले चीतों को घास के खुले और बड़े मैदानों में दूसरे वन्य जीवों के बीच रहना पसंद है। उन्हें लंबे समय तक छोटी जगह में रखना उनकी सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकता है। इससे उन्हें स्ट्रेस हो सकता है। उनका खाना-पीना बंद हो सकता है। ये भी शुक्र मनाना होगा कि इतना लंबा समय बाड़े में गुजारने के बाद भी इनकी सेहत अच्छी है। उनका कहना था कि कम स्पेस चीतों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। उन्होंने चीतों की सेहत के मद्देनजर यह तक कहा कि भारत में चीते मानवीय संघर्ष कर रहे हैं।


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