
शहर में कागजों तक सीमित वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
श्योपुर. पिछले कुछ वर्षों में शहर का भूजलस्तर लगातार गिरा है। लेकिन जलसंरक्षण को लेकर आज भी शहर के लोग और नपा प्रशासन गंभीर नहीं है। यही वजह है कि शहरी क्षेत्र में अनिवार्य होने की बावजूद वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के प्रति न तो नपा ध्यान देती है और न ही आमजन जागरूक हैं।
हालांकि नपा में इसके लिए एक धरोहर राशि भी जमा कराई जाती है, लेकिन इसके बाद भवनों की मॉनिटरिंग नहीं होती। यही वजह है कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सिर्फ कागजों में ही सीमित नजर आता है। जबकि शहर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम व्यवस्था को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। ताकि लोग वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाएं और भूजल रिचार्ज करने में सहयोगी बनें।
उल्लेखनीय है कि नपा प्रशासन द्वारा बीते तीन सालों में शहर में लगभग तीन सैकड़ा से अधिक भवनों के निर्माण को अनुमति दी गई है, लेकिन उनमें से कुछ चंद भवनों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश में ये सिस्टम नहीं बनाया गया है। शहर में कई कालोनियां भी अवैध रूप से बसी है। लेकिन यहां वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने के नियम की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है।
यंू समझे वाटर हार्वेस्टिंग का गणित
सरकार ने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर मापदंड तैयार किया है। बताया गया है कि सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड के मुताबिक यह सिस्टम अगर 400 वर्ग फीट के छत वाले मकान में लगाया जाए तो एक वर्षाकाल में लगभग 15 हजार लीटर पानी रिचार्ज किया जा सकता है। ऐसे में यदि शहर के हर घर में ये सिस्टम स्थापित होता तो शहर का भूजलस्तर काफी ऊपर होगा।
Published on:
12 Mar 2020 11:05 pm
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