
कथा वाचन करते कथा व्यास।
बड़ौदा. तहसील क्षेत्र बड़ौदा में धनखेड़ा और बासोंद के बीच स्थित हनुमान मंदिर पर पंच कुण्डीय विष्णु महायज्ञ के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में छठवें दिन कथा व्यास पं. खेमराज शास्त्री ने श्रीकृष्ण-रुकमणि विवाह प्रसंग का वर्णन किया। कथापंडाल में विवाह उत्सव मनाया गया। श्रीकृष्ण रुकमणि की वरमाला पर जमकर फूलों की बरसात हुई।
रविवार को कथा स्थल पर उपस्थित श्रोताओ को कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास पं. खेमराज शास्त्री ने कहा कि रुकमणि साक्षात लक्ष्मी और भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के अवतार है। श्रीकृष्ण भरी राजसभा के बीच से रुकमणि को हरण करके द्वारिका ले गए थे । रुकमणि हरण लीला के जरिए श्रीकृष्ण ने मानव को संदेश दिया है कि लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। कर्म से भाग्य बनता है और पुरुषार्थ से ही मनुष्य को धनलक्ष्मी, सुख, संपदा मिलती है। मनुष्य को निष्काम भाव से अपने कर्तव्य निभाने चाहिए। ईश्वर कर्म का फल अवश्य देता है। कथा व्यास ने कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। इस कथा का श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है। उन्होंने कहा कि योग, यज्ञ, तप, अनुष्ठान आदि का लक्ष्य यही होता है कि हमारी भक्ति भगवान में लगी रहे। संसार के प्रत्येक कण में हमें मात्र अपने प्रभु का ही दर्शन हो।
Published on:
02 Mar 2020 09:15 pm
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