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एनटीसीए ने एक दिन पहले कहा-बेहतर चल रहा चीता प्रोजेक्ट, दूसरे दिन हो गई मादा चीता की मौत

30 अप्रेल को एनटीसीए के अधिकारियों और दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों ने किया था कूनो का भ्रमण

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एनटीसीए ने एक दिन पहले कहा-बेहतर चल रहा चीता प्रोजेक्ट, दूसरे दिन हो गई मादा चीता की मौत

एनटीसीए ने एक दिन पहले कहा-बेहतर चल रहा चीता प्रोजेक्ट, दूसरे दिन हो गई मादा चीता की मौत

श्योपुर. कूनो नेशनल पार्क में 44 दिन में 3 चीतों की मौत से अब प्रोजेक्ट को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि 30 अप्रेल को 4 सदस्यीय विशेषज्ञों के दल ने कूनो का भ्रमण कर अपनी रिपोर्ट एनटीसीए को दी थी, जिसमें चीता प्रोजेक्ट पर संतुष्टि जताई और इसी रिपोर्ट के आधार पर ही एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) ने एक दिन पहले 8 मई को बयान जारी किया, जिसमें चीता प्रोजेक्ट की प्रगति को बेहतर बताया, लेकिन एक दिन बाद ही एक नए कारण (ङ्क्षहसक इंटरेक्शन) से मादा चीता की मौत हो गई। जिससे फिर विशेषज्ञों को ङ्क्षचता में डाल दिया है।
17 सितंबर 2022 से 30 अप्रेल तक इस प्रोजेक्ट को लेकर दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ एड्रियन टॉरडिफ और विसेंट वेनडेन मर्व के साथ एनटीसीए के आईजी डॉ.अमित मलिक और डब्ल्यूआईआई के डीन कमर कुर्रेशी ने 30 अप्रेल को कूनो का भ्रमण किया। यहां टीम ने परियोजना के सभी पहलुओं की जांच की और आगे के लिए सुझावों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसमें कहा गया है कि चीतों को नए समूत से पूरी तरह अलग नहीं किया जाए क्योंकि ऐसी स्थिति में वे प्रजनन में भाग नहीं लेंगे और अनुवांशिक रूप से अलग हो जाएंगे। लेकिन 9 मई को समूह में रह रहे चीतों में नर-मादा के ङ्क्षहसक संसर्ग में एक मादा चीता की मौत से सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या आगे भी ऐसी स्थिति बन सकती है? ऐसे में मादा चीताएं मरती रही तो वंशवृद्धि कैसे होगी?
कूनो में अब 8 मादा और 9 नर चीते बचे
कूनो में में नामीबिया से 8 चीते(3 नर व 5 मादा) और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते (5 मादा और 7 नर) लाए गए। इनमें से एक नर उदय (दक्षिण अफ्रीका) और दो मादा साशा (नामीबिया) और दक्षा (दक्षिण अफ्रीका) की मौत हो चुकी है। ऐसे में अब 17 चीते (8 मादा और 9 नर) शेष बचे हैं। जबकि 4 शावक अलग हैं। इन 17 चीतों में तीन चीते (आशा, गौरव और शौर्य) खुले जंगल में हैं, जबकि 14 बड़े बाड़ों में रह रहे हैं।
कूनो कितने चीतों के लिए अनुकूल
चार सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताा है कि कूनो नेशनल पार्क कितने चीतों के लिए अनुकूल है, इसका अनुमान तब तक नहीं लगाया जा सकता जब तक कि चीते जब अपनी घरेलू रेंज (टेरेटरी) स्थापित नहीं कर लेते। दूसरी बात यह है कि चीतों के लिए शिकार का घनत्व व अन्य कारणों के आधार पर रेंज ओवरलैप कर सकती है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीकी चीतों का वहां अपना स्थानिक पारिस्थितिक तंत्र होता है। ऐसे में भारत के लिए इसकी गणना करने का डेटा उपलब्ध नहीं है।
मप्र के पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) जसवीर ङ्क्षसह चौहान से सीधी बात
सवाल : ङ्क्षहसक इंटरेक्शन से मादा चीता की मौत ङ्क्षचता बढ़ाने वाली है?
जवाब : कोई ङ्क्षचता बढ़ाने वाली बात नहीं है। मेङ्क्षटग के दौरान इस तरह की स्थितियां अमूमन बनती हैं, लेकिन उसका प्रतिशत बहुत कम होता है।
सवाल : इस मौत के बाद समूह में रह रहे चीतों को अलग क्या जाएगा?
जवाब : बिल्कुल नहीं। बल्कि वर्तमान में जो चीते बाड़ों में है, उनमें कुछ कोएलिशन में रह रहे हैं।
सवाल : चीता की मौत के बाद अब 5 चीतोंं को खुले जंगल में छोडऩे का प्लान डिले होगा?
जवाब : नहीं, ऐसा नहीं है। अन्य चीतों को खुले जंगल में छोडऩे का काम प्लाङ्क्षनग अनुसार ही होगा और 5 में से कुछ चीते अगले सप्ताह खुले जंगल में छोड़े जाएंगे।