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श्योपुर

यहां एक ही परिसर में है शिवालय और पीर बाबा की मजार

सांप्रदायिक सद्भाव की मिशाल बना श्योपुर जिले का नीमोदा पीर, पीर बाबा का उर्स भी आयोजित

श्योपुरFeb 26, 2020 / 08:02 pm

jay singh gurjar

यहां एक ही परिसर में है शिवालय और पीर बाबा की मजार

यहां एक ही परिसर में है शिवालय और पीर बाबा की मजार

श्योपुर,
आज के दौर में जहां धर्म-समुदाय के नाम पर लोग एक दूसरे से लड़ रहे हैं और सांपद्रायिक फसाद हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जिले में एक स्थान भी है, जहां अल्लाह की इबादत और भगवान शंकर की भक्ति एक साथ होती है। यह स्थान है जिले का नीमोदा पीर जहां एक ही परिसर में शिवालय भी है और एक पीर बाबा की मजार भी है।

विशेष बात यह है कि नीमोदा पीर में पीर बाबा की मजार पर जब सालाना उर्स लगता है तो वहां हिंदू धर्म के लोग भी मुस्लिम श्रद्धालुओं का स्वागत सत्कार करते हैं। इस बार ये बुधवार 26 फरवरी को आयोजित किया गया।
श्योपुर-खातौली मार्ग से लगभग पांच किलोमीटर दूर स्थित ग्राम नीमोदापीर में कई सदियों से एक परिसर के एक हिस्से में शिवालय बना हुआ है तो उसी परिसर के दूसरे हिस्से में एक फकीर बाबा की मजार भी बनी हुई है। लेकिन कभी दोनों धर्मों के श्रद्धालुओं में सांप्रदायिक द्वेष की भावना नहीं आई। बताया गया है कि अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती लगभग शांति और अमन का संदेश देते हुए अपने अनुयायियों के साथ श्योपुर क्षेत्र में आए और यहां शिवालय के परिसर में रुके थे। हांलाकि ख्वाजा चिश्ती तो चले गए, लेकिन एक फकीर वहीं रह गए और उनके इंतकाल के बाद शिवालय के दूसरे हिस्से में उनकी मजार बनाई। तभी से मजार और शिवालय में एक साथ पूजा अर्चना का दौर चलता है और कभी कोई अड़चन नहीं आई। बताया गया है कि जब अजमेर में ख्वाजा का उर्स भरता है, उसी समय नीमोदा पीर में भी उर्स का आयोजन होता है। विशेष बात यह है कि दरगार की सेवा पूजा भी एक हिंदू परिवार ही करता है।

उर्स में उमड़े जायरीन, चढ़ाई चादर
नीमोदा पीर में पीर बाबा का 808वां उर्स अकीदत से मनाया गया, जिसमें बड़ी संख्या में अकीदतमंद पहुंचे। उर्स के दिन बुधवार को चादरपोशी हुई और लंगर तकसीम की गई। इस दौरान न केवल श्योपुर क्षेत्र बल्कि राजस्थान से भी बड़ी संख्या में उर्स में शामिल हुए और पीर बाबा की मजार पर मत्था टेका। कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों ने भी शिरकत की।
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