
श्योपुर। हर साल मिट्टी परीक्षण के लिए महीनों इंतजार करने को विवश बने किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। वह अब गांव स्तर पर ही मिट्टी का परीक्षण करा सकेंगे। ऐसा इसलिए कि खेती को लाभ का धंधा बनाने में जुटी सरकार द्वारा अब गांव गांव में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला (सॉइल टेस्ट लैब) खोलने को युवाओं को आकर्षित करती योजना बनाई है।
बताया गया है कि अन्य स्वरोजगार योजनाओं की तरह इस कार्य को करने वाले युवाओं को अनुदान भी योजना में दिया जाएगा। विभागीय सूत्र बताते हैं कि भारत सरकार द्वारा सॉइल (मिट्टी) हैल्थ मैनेजमेन्ट योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत गांवों में युवाओं को मिट्टी परीक्षण प्रोजेक्ट की स्थापना करना है।
यहां बता दें कि जिले में 80 फीसदी लोगों का रोजगार कृषि है। यहां पर करीब डेढ लाख हेक्टेयर भूमि है, जिसपर खेती की जा रही है। अभी किसान अपने लिहाज से वही सीजनेवल फसलें करता चला आ रहा है, जैसे सरसों,गेहूं, धान, सोयाबीन और उड़द आदि।
जानकार बताते हैं कि एक ही तरह की फसलें करते रहने से खेत की उर्वरा शक्ति खत्म होती चली जाती है और उत्पादन भी प्रभावित होता है। ऐसे में मिट्टी का परीक्षण कराके किसान मिट्टी के पोषक तत्वों के लिहाज से फसल का चयन कर सकते हैं।जिससे उसके खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी और फसल का उत्पादन भी अधिक होगा।
समय पर नहीं मिलती रिपोर्ट
जिले में अभी महज एक ही मिट्टी परीक्षण प्रयोग शाला मौजूद है। लिहाजा किसानों को फसल हो जाने तक भी मिट्टी की टेस्ट रिपोर्ट नहीं मिल पाती। ऐसे में जिलेवासी सरकार की तमाम सलाह के बाद भी बिना मिट्टी का परीक्षण कराए ही फसल बोते हैं। लेकिन इस योजना के बाद गांवों में जब सॉइल टेस्ट प्रोजेक्ट स्थापित हो जाएंगे, तब लोग सहजता के साथ मिट्टी परीक्षण करा सकेंगे। जिसके बाद फसल की बोवनी भी उस लिहाज से चुनाव करके कर सकेंगे।
"इस तरह की एक योजना शुरू हो रही है। लेकिन अभी उसकी पूरी जानकारी जिला कार्यालय में नहीं आ सकी है। लेकिन इससे मिट्टी के क्लिनिक टाइप गांवों में हो जाएंगे, जिनसे मिट्टी का परीक्षण हो सकेगा।"
एसके शर्मा, एसडीओ कृषि, श्योपुर
Published on:
02 Oct 2017 04:49 pm
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