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पलायन से लौटे मजदूरों को गांव में ही मिलेगा काम-धंधा

-आदिवासी विकास परियोजना में जिला प्रशासन बना रहा कार्ययोजना, 20 अप्रैल से मनरेगा के काम भी होंगे शुरू

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पलायन से लौटे मजदूरों को गांव में ही मिलेगा काम-धंधा

पलायन से लौटे मजदूरों को गांव में ही मिलेगा काम-धंधा

श्योपुर,
कोरोना संकट के चलते पलायन से लौटे मजदूरोंं केा अब उनके गांव में ही काम-धंधा उपलब्ध कराने की कवायद की जा रही है। इसके लिए जहां 20 अप्रैल से मनरेगा के काम शुरू होंगे, वहीं आदिवासी विकास परियोजना के माध्यम से कार्ययोजना बनाई जा रही है, जिसमें लोगों को उनके गांव में ही छोटे-छोटे काम धंधों से जोड़ा जाएगा।


आदिवासी बाहुल्य जिले श्योपुर के हजारों लोग रोजगार की तलाश में पलायन कर अन्य राज्यों में जाते हैं। लेकिन इस बार कोरोना संकट और लॉॅकडाउन ने इन गरीब मजदूरों की कमर तोड़ दी है। यही वजह है इस लॉकडाउन में अन्य राज्यों में काम धंधा कर रहे लगभग 11 हजार मजदूर अभी तक वापिस आ चुके हैं। इन मजदूर परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन कवायद में जुटा है। इसी के तहत प्रशासन द्वारा एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के माध्यम से एक कार्ययोजना भी बनाई गई है, जिसमें वनोपज की ग्रेडिंग, हाथ ठेला, सब्जी विक्रय व स्थानीय स्तर के अन्य छोटे-छोटे काम धंधों से जोड़ा जाएगा। इस कार्ययोजना को अप्रूवल के लिए भेजा जाएगा। इसके साथ ही इसी लॉकडाउन के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मनरेगा के कार्य भी ग्राम पंचायतों में शुरू कराए जाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए भी प्लान बनाया जा रहा है। इस संंबंध में जिपं सीइओ हर्ष सिंह का कहना है कि लोगों केा उनके ही गांव में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है, वहीं मनरेगा के काम भी शुरू कराएंगे।


37 हजार सहरिया महिलाओं घर जाकर बांटे आठ करोड़
जिपं सीइओ हर्ष सिंह ने बताया कि शासन द्वारा हर माह सहरिया महिला मुखिया के खाते में एक-एक हजार रुपए की राशि दी जाती है। इसी के तहत जनवरी से मार्च तक की तीन-तीन माह की राशि 3-3 हजार रुपए हितग्राही महिलाओं के खातों में जारी की गई है और उसके बाद ये राशि बीते एक पखवाड़े में बैंक प्रतिनिधियों के माध्यम से हितग्राही महिलाओं को घरों पर जाकर बंटवाई है। इस प्रकार लगभग 8 करोड़ रुपए की राशि दी जा चुकी है।