
शहर के लिए खतरा बने मगरमच्छ
शहर के लिए खतरा बने मगरमच्छ
मजिस्ट्रेट बंगलों के पास निकला 7 फीट लंबा मगर
सीहोर में मगरमच्छ के हमले में जान गंवा चुका है चरवाहा
शिवपुरी। बारिश शुरू होने के साथ ही शिवपुरी शहर में मगरमच्छों का खतरा बढ़ जाता है। गुरुवार की सुबह फिजीकल रोड पर मजिस्ट्रेट बंगलों के सामने नाली में एक मगरमच्छ आ गया, जिसे रेसक्यू कर पकड़ा गया। शिवपुरी में मगरमच्छों की संख्या से माधव नेशनल पार्क प्रबंधन भी अनजान बना हुआ है। पिछले दिनों सीहोर में मगरमच्छ के हमले में एक चरवाहे की जान भी जा चुकी है, जिसके चलते अब इस जलजीव से शहरवासियों को खतरा महसूस होने लगा है।
शिवपुरी में पिछले पांच दिन से मगरमच्छ निकलने व रेसक्यू करने के मामले सामने आ रहे हैं। तीन दिन पूर्व एक चरवाहे को मगरमच्छ पानी में खींच ले गया था, जिसका दूसरे दिन शव मिला। उस घटना के बाद से जिले सहित शहरवासी मगरमच्छ से दहशतजदा हो गए। शनिवार को फिजीकल पर मजिस्ट्रेट के बंगले के सामने स्थित नाली में एक मगरमच्छ वहां से निकलने वालों को सुबह 5 बजे नजर आया। मगरमच्छ निकलने की सूचना तत्काल माधव नेशनल पार्क प्रबंधन को दी गई। वहां से आई रेसक्यू टीम ने बमुश्किल 7 फीट लंबे मगरमच्छ को काबू में किया और गाड़ी में लादकर उसे अमोला पुल पर सिंध नदी में छोडऩे के लिए ले गए। इस दौरान वहां पर लोगों की अच्छी-खासी भीड़ लग गई।
बहुत बढ़ गई तादाद
वर्ष 1975 में क्रोकोडाइल बैंक मद्रास से पांच मगरमच्छों को शिवपुरी की चांदपाठा झील में लाकर छोड़ा गया था। मादा मगरमच्छ एक बार में सौ अंडे देती है और उसमें लगभग 70 फीसदी बच्चे सुरक्षित बच जाते हैं। चांदपाठा झील में लगभग 1 हजार मगरमच्छ होंगे तो इतने ही जाधव सागर तालाब में मौजूद हैं। शहर के नालों में 500 से अधिक छोटे-बड़े मगरमच्छ विचरण कर रहे हैं, जो बरसात में बाहर निकल आते हैं।
4 साल में सिंध में छोड़े 300 मगरमच्छ
शिवपुरी की चांदपाठा व जाधव सागर सहित नालों में मगरमच्छों की तादाद अधिक हो जाने की वजह से पिछले 4 साल से शहर में पकड़े जाने वाले मगरमच्छों को अमोला पुल से सिंध नदी में छोड़ा जा रहा है। पार्क प्रबंधन की टीम का कहना है कि पिछले चार साल में लगभग 300 मगरमच्छ हम सिंध में छोड़ चुके हैं। यही वजह है कि सिंध नदी में भी मगरमच्छों की सख्या तेजी से बढ़ रही है।
इन इलाकों में अधिक खतरा
शिवपुरी शहर में जाधव सागर तालाब के पास स्थित स्टेडियम के आसपास रिहायशी इलाकों के अलावा छत्री रोड, दो बत्ती तिराहा, फिजीकल एरिया में सबसे अधिक मगरमच्छ निकलते हैं। इसके अलावा शहर में नालों के आसपास स्थित कॉलोनी-मौहल्लों में मगरमच्छों का अधिक खतरा है। क्योंकि जब भी नाले उफन कर चलते हैं तो पानी के साथ ही मगरमच्छ भी कॉलोनियों का भ्रमण करने निकल आते हैं।
बोले सीसीएफ: अब करवाएंगे गिनती
पिछले 10-12 साल से मगरमच्छों की कोई गणना नहीं हुई है, लेकिन इस बार सर्दियों में काउंटिंग करवाएंगे। इनकी तादाद अधिक बढ़ गई है, तथा नालों व तालाबों में कब्जे कर लिए जाने की वजह से इंसान खुद मगरमच्छों के रास्ते में आ गया, जिससे सावधान रहना जरूरी है।
उत्तम कुमार शर्मा, सीसीएफ माधव नेशनल पार्क
Published on:
29 Jun 2023 08:47 pm
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