
सुविधाओं की मलाई हजम कर चंपत हो गई कंपनियां
ऋषि कुमार जायसवाल
ग्वालियर. चंबल अंचल में औद्योगिक इकाइयों के विकास और विस्तार के लिए सर्वाधिक लैंड बैंक होने के बावजूद यहां उद्योग उम्मीदों के अनुरूप नहीं पनप सके। नीयत में खोट के चलते सुविधाओं की मलाई मारने के बाद गुंडागर्दी के नाम पर बोरिया बिस्तर बांधने वाले करीब 70 उद्योग बानमोर औद्योगिक क्षेत्र में बंद हो गए।
200 से ज्यादा इकाइयां निवेश को आईं
70 के दशक में बानमोर में करीब 274 हेक्टेयर भूमि पर विकसित औद्योगिक क्षेत्र में 200 से ज्यादा इकाइयां बड़े निवेश के साथ आई थीं। इनमें सीमेंट कारखाना, स्टील कारखाना और प्लास्टिक कारखाना प्रमुख थे। निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार से मिलने वाली सुविधाओं को भोगने के बाद पिछले 15-20 साल में 70 से अधिक इकाइयां बंद हो गईं। हालांकि इसमें कंपनियों के आपसी विवाद और गुंडागर्दी का माहौल भी बड़ी वजह बताया जा रहा है। वर्ष 2000 के आसपास बानमोर और मालनुपर में चौथ वसूली और उद्योगपतियों और उनके बड़े अधिकारियों के अपहरण जैसे मामले भी बड़ा कारण रहे।
उद्योग बंद होने से 5 हजार लोग बेरोजगार
मुरैना में जो इकाइयां बंद हुईं, उनसे पांच हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हो चुके हैं। हालांकि बानमोर में अभी कई हेक्टेयर जमीन औद्योगिक क्षेत्र में उपलब्ध है। सीतापुर में अभी कोई बड़ा उद्योग नहीं आया है, लेकिन यहां भी 300 हेक्टेयर के करीब जमीन उपलब्ध है। बानमोर में मैग्नम स्टील, स्पोर्ट इक्विपमेंट, एरोफिल पेपर, डबल त्रिशूल आटा जैसे उद्योग बंद हो चुके हैं।
गुंडगार्दी से दहशत में थे उद्योगपति
वर्ष 2000-2010 तक औद्योगिक क्षेत्रों में गुंडागर्दी चरम पर थी। मालनपुर में एक कंपनी के बड़े अधिकारी का वर्ष 2006 में अपहरण होने के बाद यहां अस्थिरता का माहौल बना। बहुत से उद्योगों ने अपने पैर समेटना शुरू कर दिए। चौथ वसूली, चोरी की घटनाएं भी बहुत होती थीं। कारखानों का संचालन राजनीतिक मनमर्जी से कराने का प्रयास किया जाने लगा, जिसका गलत असर पड़ा। निवेश आना और रोजगार के अवसर भी कम हुए।
उद्योगों को ये मिली थी सुविधाएं
-सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराई जाती है।
-उद्योग संचालित करने के लिए सरकार बड़ा अनुदान भी देती है।
-नेशनल या स्टेट हाइवे के किनारे प्राइम लोकेशन की जमीन दी जाती है।
-सडक़ और नाले-नालियों सहित अन्य अधोसंरचना विकास करके देती है।
नीयत में खोट
औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए सरकारें बड़ी सुविधाएं देती हैं। इन सुविधाओं को भोगने के बाद अपनी स्थिति को बेहतर कर औद्योगिक इकाइयों को दूसरी जगह मर्ज कर दिया जाता है या बीमार घोषित कर बंद कर दिया जाता है।
भिण्ड में ऐसे बंद होती गई कंपनियां
क्र. साल मालनपुर
1. 1995 50 इकाइयां हुई बंद
2. 2000-05 100 इकाइयां बंद हुई
3. 2010-15 30 फैक्ट्रियां बंद हुई
15 साल पहले तक औद्योगिक क्षेत्रों में गुंडागर्दी, राजनीतिक दखल, चोरी की घटनाएं ज्यादा होती थीं। अब लोग समझ रहे हैं कि इससे विकास और रोजगार की समस्याएं बढ़ेगी। अब हालात ठीक हैं और वही लोग वहां निवेश करते हैं, जिनकी नीयत ठीक है।
मनोज जैन, उद्यमी
वर्ष 2010 के पहले तक औद्योगिक क्षेत्र में गुंडागर्दी बहुत थी। चौथ वसूली तक होती थी। इससे कई उद्योग पलायन कर गए। वहीं उद्योगपतियों की नीयत भी ठीक नहीं थी। उन्होंने अनुदान डकारने की मानसिकता से काम किया। लेकिन अब सरकार की पॉलिसी बदल गई है। अनुदान अब चार साल में धीरे-धीरे दिया जाता है, जिससे उद्योग वही लगा रहे हैं, जिन्हें काम करना है।
सुदीप शर्मा, प्रेसीडेंट, इंडस्ट्रियल एसोसिएशन, बानमोर।
Published on:
02 Feb 2022 05:40 pm
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