
इटली की मधुमक्खी, शिवपुरी के फूलों का रस, बिहार जाएगा शहद
इटली की मधुमक्खी, शिवपुरी के फूलों का रस, बिहार जाएगा शहद
पोहरी-शिवपुरी रोड पर खेतों के किनारे लगे शहद बनाने के बॉक्स
35 दिन में 60 क्विंटल शहर का उत्पादन
शिवपुरी. शिवपुरी-पोहरी रोड पर खेतों के किनारे इन दिनों शहद बनाने वाले डिब्बे लगे हुए हैं, जिनमें मौजूद इटली की मधुमक्खी शिवपुरी के फूलों का रस चूसकर जो शहद बना रही हैं, उसे मधुमक्खी पालक बिहार लेकर जाएगा। महज 35 दिन के अंतराल में इन डिब्बों में लगे डुप्लीकेट छत्तों में लगभग 60 क्विंटल शहद बनता है और फूलों का सीजन खत्म होने के बाद इन डिब्बों के साथ मधुमक्खियों को लेकर दूसरे पड़ाव के लिए रवाना हो जाते हैं।
बिहार के मुजफ्फरपुर में रहने वाले मुन्ना कुमार व शेखर पिछले 20 दिन से पोहरी रोड पर सड़क किनारे खेतों के पास खाली जगह पर शहद बनाने वाले 500 डिब्बे लगाए हुए हैं। इन डिब्बों में मधुमक्खी के छत्ते की तरह की प्लेट लगी हुई हैं, जिसमें शहद बनता है। शेखर ने बताया कि जो मधुमक्खी शहद बनाती हैं, वो भारतीय न होकर इटली की हैं, जो हम साथ लेकर आए हैं। इस सीजन में सरसों फूलती है और फूलों वाले खेतों के पास हम डिब्बे लगाते हैं, ताकि मधुमक्खी आसानी से सरसों के फूलों का रस लेकर इन छत्तों में बैठकर शहद बनाती हैं। शेखर ने बताया कि हम अपनी मधुमक्खियों व डिब्बों को लेकर पूरे साल देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग सीजन में घूमते हैं। इस सीजन में मध्यप्रदेश के शिवपुरी, ग्वालियर या भिंड-मुरैना क्षेत्र में शहद का यह प्लांट लगाते हैं।
6 लाख रुपए तक की कमाई
यह दोनों युवक सर्दी के मौसम में एक टैंट लगाकर उसी में निवास करते हैं। मधुमक्खी के डंक से बचने के लिए फुल कपड़े पहनने के साथ ही चेहरे पर जाली वाली कैप लगाते हैं, ताकि उन्हें डंक का दर्द न झेलना पड़े। बनने वाला शहद 110 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है, जिसे विभिन्न कंपनियों से उनका कॉन्टेक्ट है। 35 दिन की मेहनत में लगभग 6 लाख रुपए से अधिक की कमाई होती है। हालांकि यह डिब्बे किराए पर लाते हैं तथा मधुमक्खियों के लिए शक्कर भी साथ लेकर चलते हैं।
35 दिन में निकलता है 60 क्विंटल शहद
खेतों के आसपास लगाए गए इन डिब्बों में मधुमक्खियां अपने ग्रुप के साथ रहती हैं और सुबह होते ही डिब्बों से बाहर निकलकर खेतों में लगी सरसों के फूलों का रस लेकर वापस इन डिब्बों में आ जाती हैं। यह क्रम पूरे दिन चलता रहता है। डिब्बों में लगी छत्ते जैसी जाली में यह मधुमक्खी अपना रस छोड़ती हैं और 35 दिन के अंतराल में इन डिब्बों में लगभग 60 क्विंटल शहद इकट्ठा हो जाता है।
जाली वाली टोपी लगाकर मधुमक्खी के छत्ते सुखा रहा मुन्ना
Published on:
19 Dec 2022 02:37 pm
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