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दिल का इलाज शिवपुरी में आयुष्मान से नहींं

दिल का इलाज शिवपुरी में आयुष्मान से नहींंकई बार समय पर कार्ड के काम न करने से परेशान होते हैं मरीज व परिजनबकाया राशि के फेर में भी इलाज करने से परहेज कर रहे अस्पताल

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दिल का इलाज शिवपुरी में आयुष्मान से नहींं

दिल का इलाज शिवपुरी में आयुष्मान से नहींं

दिल का इलाज शिवपुरी में आयुष्मान से नहींं
कई बार समय पर कार्ड के काम न करने से परेशान होते हैं मरीज व परिजन
बकाया राशि के फेर में भी इलाज करने से परहेज कर रहे अस्पताल
शिवपुरी। यूं तो आयुष्मान कार्ड से पांच लाख रुपए तक का इलाज नि:शुल्क होता है, लेकिन जिस दिल की धडक़नों के रुकने से इंसान की सांसें थम जाती हैं, उसका इलाज शिवपुरी में आयुष्मान से नहीं है। चूंकि शिवपुरी में किसी भी शासकीय अथवा निजी अस्पताल में कॉर्डियोलॉजिस्ट नहीं है, इसलिए आयुष्मान कार्ड से दिल के मरीजों का उपचार शिवपुरी के अस्पतालों में नहीं है। कार्ड के माध्यम से दिल के मरीज ग्वालियर में उपचार करवा रहे हैं। शिवपुरी में हड्डी फैक्चर, पथरी, जनरल सर्जरी या अस्थमा का इलाज आयुष्मान कार्ड से हो रहा है।
आयुष्मान कार्ड यूं तो शासन की बेहतर योजना है, तथा इस कार्ड को दिखाकर गरीब भी अपना इलाज प्राइवेट अस्पतालों में करवा सकता है। कई बार मरीज की हालत अधिक खराब होने पर भी प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड चेकिंग प्रक्रिया में उलझ जाने की वजह से परिजनों को परेशान होना पड़ता है। साथ ही जिन प्राइवेट अस्पतालों को इलाज के बदले सरकार पैसा देती है, उसमें लेटलतीफी होने की वजह से उन अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड के मरीजों को कुछ न कुछ कारण बताकर टरकाना भी शुरू कर दिया है।
शिवपुरी जिले में तीन अस्पताल आयुष्मान कार्ड से उपचार के लिए पंजीकृत
1. सिद्धि विनायक (जनरल मेडीसन, जनरल सर्जरी व आर्थोपेडिक इलाज)
2. वरदान हॉस्पीटल (जनरल मेडीसन, जनरल सर्जरी व आर्थोपेडिक इलाज)
3. नवजीवन हॉस्पीटल (जनरल सर्जरी व आर्थोपेडिक इलाज)
- उक्त अस्पतालों में एक माह में औसतन 250 से 300 मरीज आयुष्मान कार्ड से उपचार करवाने आते हैं।
- निजी अस्पतालों का पुराना बकाया राशि बहुत अधिक है तथा सिद्धि विनायक का ही लगभग 1 करोड़ रुपए बकाया है। सरकार दो-तीन महीने में कुछ राशि भेज देती है।
कार्ड बनवाने की प्रक्रिया:
हितग्राही के पास बीपीएल कार्ड, संबल कार्ड या खाद्यान्न पात्रता पर्ची होना जरूरी है, जिसका समग्र आईडी का मिलान करके आयुष्मान कार्ड बनाया जाता है। पिछले दिनों आंकड़ा कम होने पर कंट्रोल की दुकानों पर यह निर्देश जारी किए गए कि जो आयुष्मान कार्ड नहीं बनवाएगा, उसे राशन नहीं मिलेगा। कंट्रोल की दुकानों पर हितग्राहियों के दस्तावेज लेकर कार्ड बनाने की प्रक्रिया तो पूरी कर ली गई, लेकिन उन हितग्राहियों को कार्ड अभी तक नहीं मिले।
ऐसे भी आ रही समस्या
शिवपुरी जिले के खोड़ निवासी अरविंद गुप्ता के पास आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद उन्हें उससे ग्वालियर में इलाज नहीं मिल सका। हुआ यह कि अरविंद को लीवर में तकलीफ होने की वजह से खून की उल्टियां होने से हालत बेहद खराब हो गई, तो उन्हें शिवपुरी से ग्वालियर रैफर कर दिया। देर शाम ग्वालियर पहुंचने पर उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती तो कर लिया, लेकिन वहां मौजूद आयुष्मान कक्ष में कोई स्टाफ न होने की वजह से उनसे कहा गया कि आज नगद में इलाज करवा लो, कल से आयुष्मान से हो जाएगा। चूंकि गुप्ता के पास इतना पैसा नहीं था कि एक दिन के 25 हजार रुपए जमा करवा पाते, क्योंकि उसमें कई जांच भी हुईं। आपस में चंदा करके पैसे भी इकट्ठे किए, तो वहां बताया कि आपका आयुष्मान कार्ड काम ही नहीं कर रहा। इसके बाद उन्हेंं भोपाल भेजा, जहां उनका कार्ड काम करने लगा।
जिले में कुल पात्र हितग्राही: 8,71,793
अभी तक बने कार्ड: 6,55,994
कार्ड बनने का प्रतिशत: 68
अभी तक लाभ ले चुके: 44397
इलाज में खर्च हुई राशि: 50,71,78,748 रुपए
सरकार ने भुगतान किया: 41,60,85,845 रुपए
बोले सीएमएचओ: भुगतान की प्रक्रिया भोपाल से
निजी अस्पतालों में होने वाले भुगतान की प्रक्रिया सीधे ही भोपाल से होती है। दिल के मरीजों का इलाज इसलिए नहीं हो पा रहा, क्योंकि शिवपुरी में कार्डियोलॉजिस्ट नहीं हैं। कार्ड के माध्यम से मरीज ग्वालियर व दिल्ली तक के अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं।
डॉ. पवन जैन, सीएमएचओ शिवपुरी