इंडस्ट्रियल एरिया में किसी ने बनाया गोदाम, तो किसी ने बनाया आवास
शिवपुरी. शहर के बड़ौदी क्षेत्र में स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में लोगों ने उद्योग धंधा खोलने के नाम पर जमीन तो ले ली, लेकिन उस पर इंडस्ट्री चलाने की बजाय उसे किराए पर उठा दिया। यहां इंडस्ट्री के नाम पर ली गई जमीन में किसी ने गोदाम बनाया तो किसी ने उसमें आशियाना ही बना लिया। इतना ही नहीं जमीन पर इंडस्ट्री खोलने के लिए कुछ लोगों ने पैसा ब्याज पर लेने के बाद जब पैसा वापस नहीं किया तो पैसा देने वाले ने उन प्लॉट पर कब्जा कर लिया। हकीकत यह है कि इंडस्ट्रीयल एरिया में मौजूद 70 फीसदी इंडस्ट्रीज न केवल बंद हैं, बल्कि उनका उपयोग दूसरे कामों के लिए हो रहा है।
गौरतलब है कि शिवपुरी में रोजगार के पर एक भी बड़ा उद्योग धंधा या कारखाना नहीं है, जिसके चलते यहां बेरोजगारी से लोग पहले ही परेशान हैं। सरकार ने इंडस्ट्रियल एरिया में लोगों को जमीन इसलिए बहुत कम रेट में लीज पर दी है, ताकि वे वहां पर अपनी कोई छोटी इंडस्ट्री चलाएं, जिसमें कुछ स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। शुरुआती दौर में लोगों ने उद्योग धंधा खोलने के नाम पर जमीन तो कौडिय़ों के भाव ले ली, लेकिन कुछ समय तक इंडस्ट्री चलाने के बाद उसे बंद करके उक्त जगह पर या तो गोदाम बना लिया या फिर उसे किराए पर उठा दिया। यानि कागजों में इंडस्ट्री के नाम पर जमीन किसी और के नाम है और धरातल पर उसका उपयोग कोई ओर दूसरे काम में कर रहा है।
यह है प्रक्रिया
इंडस्ट्रियल एरिया में उद्योग के नाम पर जमीन लेने के बाद उसमें वो फैक्ट्री चल रही है या नहीं, जिसके लिए वो ली गई है, यह देखने की जिम्मेदारी उद्योग विभाग की है। इसका समय-समय पर भौतिक सत्यापन होना चाहिए। यदि लीज पर दी गई जमीन में कोई इंडस्ट्रीज संचालित नहीं मिलती तो फिर उक्त जमीन किसी जरूरतमंद व्यवसायी को ट्रांसफर की जानी चाहिए। लेकिन शिवपुरी उद्योग विभाग ने बरसों से मॉनीटरिंग नहीं की, जिसके चलते इंडस्ट्री की जगह गोदाम बन गए तथा लोगों ने वो जमीन किराए पर ही उठा दी।
इंडस्ट्रियल एरिया की हकीकत
राजू लुकवासा की एक फैक्ट्री है, जो पहले बाबू महेश के नाम से हुआ करती थी। उसमें ऑयल एक्सप्लायर लगा था, जो बरसों से बंद है। वर्तमान में इस पर एक भाजपा नेता ने कब्जा करके गोदाम बना लिया है, क्योंकि राजू ने ब्याज पर लिया पैसा नहीं लौटाया।
यहां पर आशा वर्कशॉप के नाम से फैक्ट्री थी, जिसमें ट्रक के एक्सल बना करते थे। लेकिन अब यह फैक्ट्री बरसों से बंद है तथा इसमें अब वो व्यक्ति खुद ही घर बनाकर निवास कर रहा है।
यहां पर इंडस्ट्री के नाम पर उद्योग विभाग में दर्ज जमीन पर बने गोदाम में किसी में टायर भरे हैं तो किसी ने अनाज या प्याज आदि भरकर रखा है।
बोले सहायक प्रबंधक: मुझे भी नहीं चला था पता
फूड कलस्टर के जो प्लॉट बुक हुए, उसकी जानकारी मुझे तब लगी, जब कुछ व्यवसासियों ने ुमुझे बताया। जब तक मैंने पता किया, तब तक 90 फीसदी बुकिंग हो चुकी थी। इंडस्ट्रियल एरिया में उद्योग धंधे चल रहे हैं या नहीं, इसका हम पता करवाएंगे।
संदीप उइके, सहायक महाप्रबंधक उद्योग विभाग शिवपुरी