
पत्रिका की खबर का असर: बीसीएम व लेखा प्रबंधक की सेवाएं समाप्त
शिवपुरी. बदरवास ब्लॉक में आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि के भुगतान के नाम पर किए गए लाखों के घोटाले के मामले में ब्लॉक कम्युनिटी मोबिलाइजर (बीसीएम) सहित लेखा प्रबंधक की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। यह पूरा घोटाला पत्रिका ने अगस्त 2019 में उजागर किया था, जिसके बाद मामला विधानसभा में गूंजा और अंतत: अब भोपाल से दोनों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। मालूम हो कि पत्रिका ने 5 अगस्त 2019 को 'प्रोत्साहन राशि के नाम पर 16 लाख का घोटालाÓ नामक शीर्षक से खबर प्रकाशित कर आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि के नाम पर किए गए फर्जी भुगतान का मामला उजागर किया था। इसके बाद लगातार पूरे मामले को पत्रिका परत दर परत प्रमाणिकता के साथ खोलता गया तो मामले की जांच शुरू हुई। इस जांच के दौरान पूरा मामला न सिर्फ विधानसभा में गूंजा, बल्कि कलेक्टर शिवपुरी ने दोषियों पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश भी जारी किए। न सिर्फ शिवपुरी स्तर से बने दल ने मामले की जांच की बल्कि भोपाल से आए प्रदेश स्तरीय दल ने भी मामले की जांच की। अंतत: संपूर्ण जांच के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने माना कि ब्लॉक कम्युनिटी मोबिलाइजर पुष्पा कुशवाह और वर्तमान में करैरा में पदस्थ और बदरवास के तत्कालीन विकासखंड लेखा प्रबंधक वरूण मंगल ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया और इनके द्वारा राज्य स्वास्थ्य समिती के दिशा निर्देशों की अवहेलना की गई। जांच में उल्लेख किया गया है कि बीसीएम पुष्पा कुशवाह व विकासखंड लेखा प्रबंधक वरुण मंगल के द्वारा की गई अनियमितताओं से शासकीय धनराशि का अपव्यय हुआ है और स्वास्थ्य विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की छवि पर विपरित प्रभाव पड़ा है।
इसी के चलते दोनों को मिशन संचालक छवि भारद्वाज ने 20 जुलाई को आदेश जारी कर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं। आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि इनका कृत्य सेवा नियमावली के विपरित है और इन्हें दंड का भागी बनाता है।
घोटाले के लिए लॉक ही नहीं किया सॉफ्टवेयर
शासन द्वारा भुगतान की जो प्रक्रिया बनाई गई है उसके अनुसार जनसंख्या के हिसाब से आशा द्वारा किए गए मासिक कार्य के आधार पर निश्चित मानदेय की प्रविष्टि प्रति माह आशा सॉफ्टवेयर पर की जाती है। इस प्रविष्टि के बाद महीने के अंत में उक्त माह को लॉक कर दिया जाता है, ताकि दर्ज मानदेय में कोई परिवर्तन न हो सके। इसी प्रविष्टि के आधार पर आशा कार्यकर्ताओं को भुगतान किया जाता है, लेकिन बदरवास बीसीएम पुष्पा कुशवाह द्वारा सॉफ्टवेयर में प्रविष्टि के बाद जनवरी 2019 से पहले तक इसे किसी भी माह में लॉक ही नहीं किया, ताकि उक्त प्रविष्टियों में कभी भी कोई भी परिवर्तन किया जा सके। सॉफ्टवेयर में जिन आशाओं के नाम पर मानदेय दर्ज है उनके स्थान पर दूसरी आशाओं के बैंक खाते में भुगतान कर दिए गए हैं।
जो प्रसव नहीं हुए उनका भी कर दिया गया था भुगतान
बीसीएम पुष्पा कुशवाह और विकासखंड लेखा प्रबंधक ने जब इस पूरे घोटाले का अंजाम दिया तो अपनी कुछ चुनिंदा आशा कार्यकर्ताओं के खाते में ऐसे प्रसवों का भी भुगतान कर दिया जो प्रसव वास्तविकता में हुए ही नहीं थे। हालात यह बने कि धरातल पर 2743 प्रसव हुए और दोनों कर्मचारियों ने आपस में सांठ गांठ कर दस्तावेजों में 5 हजार 328 प्रसव बताकर आशा कार्यकर्ताओं के खाते में २५८५ ऐसे प्रसवों का भुगतान कर दिया, जो वास्तविकता में हुए ही नहीं थे।
अनियमितताएं उजागर हुईं
मामले में स्थानीय स्तर सहित प्रदेश स्तर से गठित की गई टीमों ने जो जांच की थीं, उन सभी जांचों में बीसीएम और लेखा प्रबंधक द्वारा की गई अनियमितताएं उजागर हुई हैं। उक्त अनियमितताओं के आधार पर मिशन संचालक ने उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
- डॉ. एएल शर्मा, सीएमएचओ
Published on:
21 Jul 2020 10:39 pm
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