
एमपी के इस इलाके में पानी के लिए कड़ी जद्दोजहद (Photo Source- Patrika Input)
संजीव जाट की ग्राउंड रिपोर्ट
Villagers Drinking Dirty Water : जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व पानी है। पानी के बिना जीवन की कल्पना असंभव है। हर जीव जंतु के साथ इंसानी जीवन के लिए पानी का सबसे खास महत्व रखता है। भीषण गर्मी के दिनों में पानी का महत्व वो ही समझ सकता है, जिसे प्यास लगने पर कहीं पानी न मिल सके या प्यास बुझाने वाले तत्व पानी के लिए कड़ी जद्दोजहद करनी पड़े। ठीक वैसे ही इन दिनों मध्य प्रदेश भीषण गर्मी की चपेट में है। कई इलाकों में तापमान 46 डिग्री पार कर चुका है। इसी भीषण गर्मी में शिवपुरी जिले के बदरवास ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले कई गांवों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। हालात ये हैं कि, यहां के लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, वो भी तब, जब सरकार हर घर नल से जल पहुंचाने का दावा कर रही है।
बदरवास जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली सालोन ग्राम पंचायत की आदिवासी ग्राम बारईखेड़ा की चौकवारी बस्ती के बाशिंदे इन दिनों बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हैं। हालात ये हैं कि, उन्हें अपने गांव से दो किलोमीटर दूर से पानी सिर पर ढोकर लाना पड़ रहा है। इस तरह गांव के सैकड़ों लोग अपने अपने बच्चों और बुजुर्गों के प्राण बचाने के जतन कर रहे हैं। खास बात ये है कि, गांव में एक नहीं पांच पांच हैंडपंप भी हैं। लेकिन, वो पांचों खराब पड़े हैं और कई बार शिकायत करने के बावजूद भी क्षेत्र के जिम्मेदार बस्ती में लगे ये हैंडपंप सुधरवाने के बारे में नहीं सोच रहे हैं।
बदरवास अंचल में पानी की समस्या बहुत ज्यादा गहराने लगी है। बदरवास के सालोन पंचायत के बारईखेड़ा ग्राम की चौकवारी की आदिवासी बस्ती में रहने वाले 500 की आबादी, जिसमें 70 घर हैं। इस बस्ती के परिवार पानी के लिए न सिर्फ जान जोखिम में डाल रहे है, बल्कि भीषण गर्मी में लू के थपेड़ों के बीच दो कि.मी दूर खोदी गई कुईया से गंदा पानी भरकर लाने को मजबूर हैं। खास बात ये है कि, सिर पर पानी भरकर लाने वालों में कई महिला जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ पूर्व जनपद सदस्य तक शामिल हैं। यहां हालात ये हैं कि, जिम्मेदार इन तक की सुनवाई नहीं कर रहा है।
चौकवारी की आदिवासी बस्ती में स्थित पांच हैंडपंप लंबे समय से खराब पड़े हैं। जब उन्हें सुधारा नहीं गया तो बस्ती में रहने वाले लोगों ने दो किलोमीटर दूर बीच जंगल में खुदाई कर एक गड्ढा बनाया है, जिससे ये लोग अपने प्राण बचाने के लिए भयानक गर्मी मैं गंदा पानी लाने लाने को मजबूर हैं।
आदिवासी बस्ती चौकवारी के ग्रामीण, महिला, पुरुष, बच्चे सभी लोग सुबह होते ही हाथों में खाली बर्तन लेकर पानी लेने के लिए पैदल निकलते हैं। दो किलोमीटर दूर जंगल से जोखिम भरे रास्तों से गुजरते हुए बमुश्किल उस कुइया तक पहुंचते हैं। इतनी जद्दोजहद के बाद वो गंदा ही सही पर पीने को पानी ला पाते हैं। पानी दूषित होने के कारण इससे बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है। पानी लाने की इस जी तोड़ मुहिम के लिए उन्हें सुबह होते ही निकलना पड़ाता है और शाम तक यही क्रम इन आदिवासियों का चलता रहता है। आदिवासियों के जीवन स्तर को सुधारने और उन्हें मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए हर साल करोड़ों रुपए का बजट खर्च किया जा रहा है। बावजूद इसके ये परिवार जिंदा रहने के लिए गंदा पानी पीने को मजबूर है।
चौकवार आदिवासी बस्ती के ये परिवार जिस स्थान से पानी भरकर ला रहे है, उसमें भरा पानी पहली नजर में ही गंदा दिखाई दे रहा है। लेकिन, दूसरा कोई विकल्प न होने की वजह से वे इसी पानी को पीकर भगवान भरोसे अपना जीवन निर्वहन कर रहे हैं।
चौकवारी अदिवासी बस्ती में रहने वाले कई पूर्व और मौजूदा जनप्रतिनिधि भी ग्रामीणों के साथ पानी ढोते नजर आए। पूर्व जनपद सदस्य अमरसिंह पटेलिया और सगन पटेलिया से जब इस पानी की समस्या के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, हमारे गांव में जल संकट के बारे में कई बार बताया गया है, लेकिन कोई भी हमारी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा और हम बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हैं। गांव के लोग दिनरात परेशान रहते हैं, कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही।
इस चौकवारी बस्ती में लगे पांचों के पांच हैंडपंप खराब पड़े हैं और पानी के स्थान पर हवा फेंक रहे हैं। इस संबंध में ग्रामीणों ने कई बार अपनी समस्या को उठाया, लेकिन उनकी समस्या और पीर को समझने वाला कोई भी नहीं है। गर्मी के मौसम में पसीना बहाते हुए पूरा दिन इस बस्ती के लोगों का सिर पर रखकर पानी ढोने में ही निकल रहा है।
मामले को लेकर बदरवास पीएचई सब इंजीनियर आनंद शर्मा का कहना है कि, मेरे संज्ञान में ये मामला आज ही ई.ई साहब के फोन के बाद आया है। कल ही इस गांव के हैंडपंप सुधरवाने की कार्रवाई करेंगे।
बदरवास जनपद पंचायत के सीईओ अरविन्द शर्मा का कहना है कि, इस संबंध में पीएचई से जानकारी लें। क्योंकि, ये मामला मेरी जानकारी में नहीं है।
Published on:
11 Jun 2025 04:59 pm
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