‘वो जो शोर मचाते हैं भीड़ में, भीड़ ही बनकर रह जाते हैं, वही पाते हैं जिंदगी में सफलता जो खामोशी से अपना काम कर जाते हैं।’ यह बात श्रावस्ती के आसिफ अजीज सिद्दीकी पर बिल्कुल फिट बैठकी है।
akhilesh yadav
श्रावस्ती. ‘वो जो शोर मचाते हैं भीड़ में, भीड़ ही बनकर रह जाते हैं, वही पाते हैं जिंदगी में सफलता जो खामोशी से अपना काम कर जाते हैं।’ यह बात श्रावस्ती के आसिफ अजीज सिद्दीकी पर बिल्कुल फिट बैठकी है। आसिफ को इंजीनियरिंग की नौकरी करने के बाद सुकून नहीं मिला.. तो उसके साथ-साथ खेती-किसानी की ओर रुख अपना लिया। और बाद में पॉली हाउस बनाकर जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश में खेती और प्रगतिशील किसानों के लिए नजीर बन गए।
ये भी पढ़ें- लोहिया अस्तपाल में हुआ जोरदार धमाका, मची हफरा-तफरी, मरीजों की जान पर बनी आफत58 लाख रुपये की लागत से बनाया पॉली हाउस- जिले के विकास खण्ड जमुनहा के नदईडीह गांव निवासी आसिफ अजीज सिद्दीकी बी. ई. और एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद 1987 में सिविल इंजीनियर हो गए। आसिफ को इंजीनियर की नौकरी से कुछ अलग करने की चाहत थी। ऐसे में वर्ष 2015 में उनकी मुलाकात फूलों की खेती करने वाले मशहूर किसान मोइनुद्दीन से हुई। जो बाराबंकी जिले के रहने वाले हैं। इन्हीं से प्रेरणा लेकर आसिफ ने हरियाणा के करनाल से इण्डो-इजराईल प्रोजेक्ट में एक सप्ताह का प्रशिक्षण लेकर पॉली हाउस में खेती करने का गुर सीखा.. और साल 2016 में श्रावस्ती के कृषि विभाग से सम्पर्क कर एक एकड़ जमीन पर लगभग 58 लाख रुपये की लागत से अपने गांव नदईडीह में एक पॉली हाउस बना डाला।
ये भी पढ़ें- अपने मंत्रियों से सीएम योगी ने कही बडी़ बात, सुन सब रह गए दंग, सचिवों भी थे मौजूदअखिलेश सरकार में मिला था अनुदान- अखिलेश यादव की सरकार की तरफ से 29.18 लाख रुपये का अनुदान भी मिला। शुरुआत में इन्होंने जरबेरा के फूल की खेती शुरू की जो हालैंड का एक फूल माना जाता है। आसिफ बताते हैं कि एक एकड़ जमीन से औसतन प्रतिदिन 5000 फूल तोड़े जाते हैं जिसको पैकिंग करवाकर लखनऊ फूल मंडी भेज दिया जाता है। शादी-विवाह के सीजन में मांग बढ़ने पर मूल्य भी अच्छा मिल जाता है। एक साल की औसत बचत 12 से 15 लाख रुपये हो जाती है। पिछले साल आधे एकड़ में एक और पॉलीहाउस बनाया है। जिसमें लाल और पीली शिमला मिर्च की खेती होती है। इससे भी सालाना की औसतन आय 6 से 8 लाख रुपये हो जाती है।
क्या है पॉली हाउस- पॉली हाउस खेत पर ही एक ढाँचानुमा रचना होती है। जो तापक्रम को नियंत्रित कर उगाई जाने वाली फसल के अनुकूल माहौल बना देती है। इसके लिए खेत की जमीन पर जगह-जगह कंक्रीट की नींव पर एक स्टील के फ्रेम का ढांचा खड़ा किया जाता है। जिसे पालीशीट से कवर कर उस पर एक हवादार जाली अलग से लगाई जाती है। इसमें ट्यूबेल की मदद से टपक विधि से सिचाई की जाती है।
8 लाख रुपये प्रति किलोग्राम वाला गुलाब का तेल भी बनाएंगे- फूल और सब्जी की खेती के साथ साथ इस वर्ष से आसिफ ने जिरेनियम की खेती की भी शुरुआत कर दी है। जिससे असेंशियल आयल निकलता है। इसकी मांग पूरी दुनिया में है। ये गुलाब के तेल का substitute है। गुलाब का तेल तकरीबन 8 लाख रुपये प्रति किलोग्राम में बिकता है,जो काफी मंहगा होता है। जिरेनियम उसी का substitute है और ये भी बताया जाता है कि इसकी खेती के लिए पॉलीहाउस जरूरी नहीं है।
मिल चुका है पुरस्कार- आसिफ अपने इस काम से विदेशों में भी मिसाल बन चुके है। मार्च 2017 में काठमांडू अन्तर्राष्ट्रीय पुष्प मेले में आसिफ अजीज सिद्दीकी को फूलों की उन्नति खेती के लिए प्रथम-पुरस्कार भी मिल चुका है।