6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

डेंगू का प्रकोप: मप्र के इस जिले में रिपोर्ट आने से पलहे ही थम जाती हैं सांसें

सीधी जिले में जांच व उपचार के समुचित इंतजाम न होने से जा रहीं मरीजों की जानें

2 min read
Google source verification
dengue ke lakshan aur upay in hindi

dengue ke lakshan aur upay in hindi

सीधी. मप्र के सीधी जिले में डेंगू का प्रकोप तेजी से फैज रहा है, लेकिन जिला अस्पताल में जांच व उपचार के समुचित इंतजाम नहीं है, जिससे मरीज निजी चिकित्सकों का सहारा लेने को मजबूर हैं। जहां उन्हें भारी-भरकम फीस भी चुकानी पड़ती है। उपेक्षा की स्थिति ये है कि डेंगे के संदिग्ध मरीज मिलने पर इनकी जांच के लिए सेम्पल जबलपुर भेजे जाते हैं, जहां से रिपोर्ट आने तक मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है। कई बार तो उन्हें जान से भी हाथ धोनाड़ जाता है। सोमवार को भी जिला अस्पताल में डेंगू के दो संदिग्ध मरीज मिले हैं, जिनका एलाइजस टेस्ट के लिए ब्लड सेंपल जबलपुर भेजा गया है। एक संदिग्ध ने रिपोर्ट आने से पहले ही नागपुर का रुख कर लिया, जबकि, दूसरे का इलाज जिला अस्पताल में ही जारी है। फिलहाल, चिकित्सक रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं।

विशेषज्ञों की टीम बनाई न निर्धारित किए अलग वार्ड
जिले में डेंगू के संदिग्ध मिलने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है। जिला अस्पताल में अब तक न डेंगू व स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए अलग वार्ड निर्धारित किया गया है। न ही चिकित्सकों की विशेष टीम गठित की है। सामान्य मरीजों की तरह ही इन्हें भी मेडिकल वार्ड में भर्ती कर उपचार दिया जाता है। स्थिति गंभीर होने पर रीवा रेफर कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है।

मशीन तो है, दक्ष कर्मचारी नहीं
जिला अस्पताल में डेंगू पीडि़त की जांच के लिए मशीन उपलब्ध नहीं थी, जिस कारण खून का सेंपल लेकर एलाइजा जांच के लिए जबलपुर भेजा जाता था। यहां से रिपोर्ट आने में एक पखवाड़े लग जाते थे। रिपोर्ट मिलते-मिलते मरीज की हालत गंभीर हो जाती थी। इसे देखते हुए शासन ने जांच के लिए मशीन उपलब्ध कराई, लेकिन दक्ष कर्मचारी न होने से इसे चलाने वाला कोई नहीं है।

इंतजार के सिवा कोई रास्ता नहीं
सेंपल भेजकर जबलपुर से जांच कराने में एक पखवाड़ा लगता है, वहीं निजी पैथोलॉजी में यह जांच काफी महंगी है। ऐसे में गरीब वर्ग के लोग 15 दिन इंतजार करते हैं। वहीं संपन्न लोग निजी अस्पताल में जाकर इलाज शुरू करा लेते हैं। निजी क्लीनिकों में डेंगू जांच के एक हजार रुपए लगते हैं।

तीन स्टेज में होती है एलाइजा जांच
-एनएसजी इसकी रिपोर्ट पॉजीटिव आने का मतलब यह कि व्यक्ति डेंगू वायरस की चपेट में है। अभी डेंगू का वायरस उस व्यक्ति के शरीर में है या नहीं यह जानने के लिए आगे की जांच आइजीएम व आइजीजी करनी होती है।
-आइजीएम पॉजीटिव का मतलब यह होता है कि व्यक्ति को चार से पांच दिन का डेंगू संक्रमण है। ऐसे में मरीजों का ध्यान एनएस पॉजीटिव के मरीज से ज्यादा देना होता है।
-आइजीजी इसकी पॉजीटिव रिपोर्ट का मतलब है कि डेंगू की चपेट में आए 15 दिन से अधिक हो गए। इस स्थिति वाले व्यक्ति की ही प्लेटलेट तेजी से गिरता है। थर्ड स्टेज ही ज्यादा खतरनाक है। ऐसे मरीजों के उपचार में यदि सक्रियता नहीं दिखाई गई
तो जिंदगी पर भारी पड़ जाती है।