23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सर्द रात में कंपनी के खिलाफ दूसरे दिन भी अनशन पर डटे रहे किसान, किसी ने नहीं ली इनकी सुध

आश्वासन के बाद भी नहीं किया कार्य, किसानों में बढ़ा आक्रोश

2 min read
Google source verification
Farmers on hunger strike for second day against company in cold night

Farmers on hunger strike for second day against company in cold night

सीधी. बघवार क्षेत्र के किसान दूसरे दिन भी अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी के के खिलाफ अनशन पर डटे रहे। उनका कहना है, गुरुवार को प्लांट प्रबंधन ने पुलिस बुलाकर आंदोलन समाप्त करने का दवाब बनाया था। पुलिस भी वाहन निकलने की आड़ में टेंट हटवाने का दवाब बनाती रही। लेकिन किसानों का अडिग रवैया देख लौट गई। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक मागें लिखित रूप में नहीं मानी जातीं, आंदोलन जारी रहेगा। वहीं प्रबंधन इसके लिए तीन महीने का समय मांगता रहा। किसानों का कहना है वह सालों से झूठे आश्वासन पर छले जा रहे हैं।

निर्णय होने के बाद ही खत्म होगा आंदोलन
इस बार अब मागों के संबंध में अंतिम निर्णय होने के बाद ही उनका आंदोलन खत्म होगा। उनका कहना था कि अल्ट्राटेक प्रबंधन की मनमानी के चलते उनका घर में रहना भी दूभर हो चुका है। ग्रामीणों को सबसे ज्यादा क्षति पत्थर निकालने के लिए होने वाली ब्लास्टिंग से हो रहा है। ब्लास्टिंग के चलते उडऩे वाले पत्थर गांव में भी पहुंचकर घरों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। आसपास के कई गावों में ब्लास्टिंग के चलते लोगों में भारी दहशत बनी हुई है। वहीं प्लांट से निकलने वाला केमिकल युक्त प्रदूषित पानी के नालियों के माध्यम से खेतों में पहुंचने से फसलें सूख रही हैं। प्रदूषित पानी की समस्या के चलते सैकड़ों किसान प्रभावित हैं।

सीमेंट प्रबंधन की मनमानी पर फैला आक्रोश
इनकी समस्याओं की अनदेखी अल्ट्राटेक सीमेंट प्रबंधन द्वारा लंबे समय से की जा रही है। साथ ही अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट से रोजाना भारी मात्रा में डस्ट उडऩे से आसपास के ग्रामीणों का जीना दुश्वार हो चुका है। डस्ट के चलते जहां गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा हुआ है वहीं फसलों की नुकसानी भी हो रही है। तत्संबंध में क्षेत्रीय गा्रमीणों ने बताया कि सीमेंट प्लांट की स्थापना के लिए तत्कालीन जेपी सीमेंट द्वारा सीएसआर के तहत लंबे चौड़े वादे किए गए थे जिन गावों को गोद लिया गया था उनमें विकास कार्य कराने की बात कही गई थी।