
तौल कांटो पर सील के लिए लोक सेवा केंद्र में देना होगा आवेदन
सीधी। यूं तो ग्राहकों को सही तौल और वालिब माल मिले, नाप तौल विभाग के अफसरों को जमीनी स्तर पर लगा रखा है, लेकिन नए कानून के हिसाब से व्यापारियों को झंझट में डालकर नाप तौल उपकरणों का सत्यापन करवाने से दूर रखे जाने की संभावनाएं बढ़ाई जा रही है। इससे ग्राहकों के साथ भी धोखाधड़ी की आशंका बढ़ जाएगी। नए नियम लागू करने के पूर्व लोंगो के सुझाव बुलवाए जाने थे, जो बुलवाए बगैर एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए नया नियम लागू कर दिया गया।
२५ अक्टूवर २०१९ को नापतौल नियंत्रक ने एक फरमान जारी कर यह कहा कि सभी व्यापारी या नापतौल उपकरणों का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को अपने उपकरणों का सत्यापन करवाने के लिए लोक सेवा केंद्र पर आवेदन करना होगा। वहां से आवेदन प्राप्त होने के बाद संबंधित व्यक्ति या व्यापारी को उपकरण लेकर नापतौल कार्यालय या शिविर में जाना होगा। इसके बाद ही उन उपकरणों का सत्यापन कर उन पर सील ठोंकी जाएगी। जबकि २५ सितंबर २०१० में लोक सेवा गारंटी अधिनियम लागू कर आम जनता को समय सीमा में राहत देने का उल्लेख है। नया नियम पूरे प्रदेश के लिए लागू किया गया है।
इसलिए हो रही लीपापोती-
नए नियम के अनुसार व्यापारी या नापतौल उपकरणों का इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों को लोकसेवा केंद्र पर आवेदन करना होगा। जिले भर में हजारों ऐसे लोग जो लोक सेवा केंद्र से ३० से ४० किलोमीटर की दूरी पर होती है, जो वहां जाने पर होने वाले किराए की फिजूल खर्ची से घबराकर बैठे रहेेंगे। इधर लोक सेवा केंद्र मे आवेदन के बाद फिर दोबारा चक्कर लगाकर नापतौल कार्यालय या शिविर मे जाना होगा, जिससे उसका दोबारा खर्च होगा। इन सब झंझटो से बचने के लिए अधिकांश लोग इस नियम से दूर रहकर अपने उपकरण सत्यापित ही नहीं करवाना चाहेंगे, जिससे ग्राहकों को कम तौल मिलने की आशंका बढ़ जाएगी। इधर मोटी कार्रवाई से कागजी खानापूर्ति करने वाले नापतौल अधिकारी भी छोटी कार्रवाई से दूर रहकर केवल लीपापोती करने मे लगे रहेगे।
ऐसे रहेगा नया चक्र-
उपकरण सत्यापित करवाने के लिए पहले लोक सेवा केंद्र पर आवेदन करना होगा। फिर नापतौल कार्यालय या शिविर में सत्यापन के लिए जाना होगा। फिर प्रमाण पत्र के लिए फिर लोक सेवा केंद्र का चक्कर लगाना होगा। इससे व्यापारियों की मुसीबत बढ़ जाएगी।
जीवन रक्षक संसाधनों का नहीं हो रहा सत्यापन-
ऐसे तो गरीब और छोटे व्यापारियों पर नापतौल उपकरणों के सत्यापन करवाने का नियम लागू है और इसके लिए उन्हें नोटिस भी जारी किए जाते रहे, लेकिन जीवन रक्षक संसाधन जैसे डाक्टरी ब्लड प्रेशर मशीन, थर्मामीटर आदि नापतौल के राजपत्र में शामिल होने के बावजूद इनका सत्यापन नहीं हो पा रहा है। बता रहे हैं कि नापतौल विभाग में अमले और संसाधनों की कमी के कारण इनका सत्यापन नहीं हो पा रहा है। ऐसे मरीजों की जांच पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
नए नियम से बढ़ जाएगा खर्च-
नए नियम लागू करने के पीछे नापतौल नियंत्रक का मकसद अपना पल्ला झाडऩा था। अब तक शिविर लगाकर व्यापारियों को नोटिस देकर मौके पर ही उपकरणों के सत्यापन के लिए बुलाया जाता था। मौके पर ही लाइसेंसी लोग सर्विस कर उपकरणों का सत्यापन कर प्रमाण पत्र दे देते थे। अब लोक सेवा अधिनियम से ना समझी के कारण व्यापारियों को आवेदन देने और प्रमाण पत्र लेने के लिए लोक सेवा केंद्र के हवाले कर दिया गया है। इससे व्यापारियों के चक्कर भी बढ़े और आने जाने में लगने वाला भाड़ा, लोक सेवा केंद्र का खर्चा आदि भी बढ़ जाएगा।
यह है नियम-
* मैकेनिकल मशीनो (नापतौल उपकरण) का सत्यापन प्रत्येक दो वर्ष में करवाना जरूरी।
* इलेक्ट्रानिक मशीनें (नापतौल उपकरण) का सत्यापन एक वर्ष मे करवाना जरूरी।
Published on:
16 Nov 2019 01:28 pm
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